पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/५६५

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२८४. पत्र : नरहरि परीखको

[जनवरी २५, १९२० के बाद][१]

भाई नरहरि,

तुम्हारा पत्र अभी-अभी मिला। तुम न लिखते तो मुझे बहुत दुःख होता। कुमारी फैरिंगके भोजनकी व्यवस्था इमाम साहबके यहाँ करनी पड़ी; ठीक ही हुआ। बा के सम्बन्ध में मैं उसे पहले ही लिख चुका हूँ। बा ने बहुत सारे कार्योंमें बाधा डाली है। हम भगवान् से प्रार्थना करें कि वह कुमारी फैरिंगके मामलेमें बाधा न डालेगी। बा के इस दोषको निकालनेका प्रयत्न करना व्यर्थ है। तुम जैसे महादेवकी सेवा करते हो वैसे ही कुमारी फैरिंगकी भी करना। तुम्हारे पत्रको मैंने चि॰ मगनलालके पास भेजा है। तुम भी यही मानना कि ऐसा करके मैंने बुद्धिमानी की है।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ ११८८३) की फोटो नकलसे।

२८५. पत्र : जे॰ बी॰ पेटिटको

[लाहौर
जनवरी २६, १९२०][२]

प्रिय श्री पेटिट,

मैंने तो मान लिया था कि श्रीमती कुँवरबाई सोराबजीके जो करीब ९०० रुपये थे, आपने उन्हें दे दिये होंगे। लेकिन अभी उनका एक पोस्टकार्ड मिला है, जिससे मालूम होता है कि उन्हें तो अभी कुछ नहीं मिला है। उन्हें जितनी जल्दी हो सके, पैसे भेज दें।[३] बेचारी बहुत कष्टमें जान पड़ती है। आजकल वे श्री पालोंजीके यहाँ हैं।

हृदयसे आपका

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ७०७२) की फोटो-नकलसे।

  1. यहाँ एस्थर फैरिंग द्वारा इमाम साहबके घर भोजन करनेका उल्लेख होनेसे स्पष्ट हो जाता है कि गांधीजीने यह पत्र लगभग उसी समय लिखा था जिस समय एस्थर फैरिंगको।
  2. पेटिटने ४ फरवरी, १९२० को गांधीजीको जो पत्र लिखा उसमें इस पत्रके उक्त तारीखको लिखे होनेका उल्लेख है।
  3. पेटिटने उत्तर दिया था कि श्रीमती सोराबजीको ९२५ रुपये ५ आने भेज दिये गये हैं।