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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सविनय अवज्ञा अर्थात् कष्ट सहन द्वारा प्रतिकारका हथियार अटूट, शान्तिमय और उन्नतिकर है।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ९-८-१९१९

१५. पत्र : जी० ए० नटेसनको

बम्बई

अगस्त ९, [१९१९]

प्रिय श्री नटेसन,

देवदासकी[१] बीमारीमें उसकी देखभालके लिए मैं आपका आभारी हूँ। डॉ० कृष्ण- स्वामीने देवदासकी बड़ी शुश्रूषा की है, उसके लिए आप मेरी ओरसे उन्हें धन्यवाद देनेकी कृपा करें।

आपको जब भी मेरे लेखों या कामोंकी आलोचना करना जरूरी लगे तो निःसंकोच ऐसा करें।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

गांधीजी के स्वाक्षरों में मूल अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० २९३१) की फोटो - नकलसे।

१६. पत्र : मोहनलाल पंडयाको[२]

आश्रम

मंगलवार [ अगस्त १२, १९१९][३]

भाईश्री ५ मोहनलाल पंड्या,

मैं काममें इतना अधिक व्यस्त रहता हूँ कि मुझे जरा भी समय नहीं मिलता। इसी कारण आपको पत्र न लिख सका। रुईके आँकड़े मेरी भूलके कारण ही रह गये। अब बम्बई पत्र लिख रहा हूँ। [ यह ] तो आपने देखा [ ही ] होगा कि पंजाब जानेकी कोई जरूरत नहीं है। वहाँ क्या हाल है? कठलालमें स्वराज्यकी स्थापना किये बिना मुझे सन्तोष मिले, सो बात नहीं। स्वराज्य अर्थात् कठलाल अपने लिए अनाज, वस्त्र और जरूरत की अन्य वस्तुओंमें आत्मनिर्भर हो जाये। हमने यह रास्ता नहीं अपनाया इसीलिए हम भटक रहे हैं। स्वराज्य हम स्वयं अपने प्रयत्नोंसे ही प्राप्त कर सकते हैं। इसे प्राप्त करनेके लिए आप तथा भाई शंकरलाल अपने प्राणतक उत्सर्ग कर देना। आपमें

  1. देवदास गांधी हिन्दी-प्रचार कार्यके सिलसिले में १९१८ से मद्रास में थे।
  2. खेड़ा-सत्याग्रहके एक सहयोगी; देखिए खण्ड १४, ४०२-४
  3. स्पष्टतः यह पत्र गांधीजीके सितम्बर १९१९ में नवजीवन प्रकाशित करनेके कुछ समय पूर्व लिखा गया था। १४ अगस्त, १९१९ के दिन गांधीजी गोधरामें थे, और यह तिथि बृहस्पतिवार को पड़ी थी।