पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/५८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५५३
परिशिष्ट

मैं कितना चाहता हूँ कि मैं अपने देशवासियोंके कष्टोंमें हिस्सा बँटानेको वहाँ होता। उनके लिए मेरा दिल रोता है, लेकिन इस बातपर और भी ज्यादा रोता है कि मुझे सेवा करने और कष्ट सहनेके अवसरसे वंचित कर दिया गया है।

हृदयसे आपका,

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, १३-८-१९१९

परिशिष्ट ४
खेड़ाके मामलेपर टिप्पणी

खेड़ा आन्दोलन सन् १९१७-१८ के लिए लगानकी माँग लेकर आरम्भ हुआ था। इससे पहले जिलेमें लगानकी स्थिति बहुत अच्छी थी। जिन तीन ताल्लुकोंमें १९१७-१८ में फसल खराब हुई थी उनमें पिछले वर्षोंका बकाया लगान बिलकुल नहीं था। १९१७ में देरसे हुई भारी वर्षासे जिलेके कुछ भागों में खरीफकी कुछ फसलों और ख़ास तौरपर बाजरेकी फसलको खासा नुकसान पहुँचा था। लेकिन दूसरी ओर चावलकी फसल और बादमें बोई जानेवाली दूसरी फसलें असाधारण रूपसे अच्छी हुई थीं। लगान मुल्तवी करने और माफ करनेके बम्बई प्रान्तके नियमोंका, जिन्हें भारत सरकारने १९०७ में स्वीकृत किया था, मूलभूत सिद्धान्त यह है कि बड़े संकटोंमें एक दूसरेसे लगे क्षेत्रोंको एक मानकर कार्रवाई की जाये, परन्तु निपटारेके लिए अलग-अलग क्षेत्रकी हालतोंकी जाँच-पड़ताल न की जाये, राहत देनेके लिए हमेशा पहले लगान मुल्तवी किया जाये, माफ न किया जाये, और लगान वसूली निम्नलिखित अनुपातसे मुल्तवी की जाये : यदि फसल सामान्य फसलकी[१] एक-तिहाई या उससे कम हुई हो तो पूरा लगान मुल्तवी कर दिया जाये, यदि फसल सामान्य फसलकी तिहाईसे ज्यादा और आधीसे कम हुई हो तो आधा लगान मुल्तवी किया जाये और दूसरी हालतोंमें लगान वसूली मुल्तवी न की जाये। इन नियमोंके अनुसार कलक्टरने (जो स्वयं हिन्दुस्तानी था) स्थानीय जाँचपड़ताल के बाद तीन ताल्लुकोंके १०४ गाँवों में विभिन्न मात्रा में लगानकी वसूली मुल्तवी की। जितने लगानकी वसूली मुल्तवी की गई, वह उन ताल्लुकोंके कुल लगानका २० प्रतिशत और पूरे जिलेके लगानका ७.४ प्रतिशत था। लगान वसूलीकी मुल्तवी करने का औपचारिक आदेश जारी होनेसे कुछ पहले बम्बईके दो वकीलोंके नेतृत्वमें एक शिष्टमण्डलने १५ दिसम्बर, १९१७ को कलक्टरसे मुलाकात की थी। शिष्टमण्डलने उनसे यह कहते हुए कि सभी फसलें प्राय: पूरी तरह खराब हो गई हैं, माँग की कि अधिकांश मामलों में लगान तत्काल माफ कर दिया जाये और बाकी मामलोंमें पूरे लगानकी वसूली मुल्तवी कर दी जाये। इसपर कलक्टरने बताया कि उनकी पहली

  1. बृहत्तर बम्बई प्रान्तमें फसल रुपये में बारह आने हो तो उसे सामान्य माना जाता है।