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परिशिष्ट

लगान पहले ही चुकता कर दिया गया है; १० अप्रैलको कलक्टरने रिपोर्ट दी थी कि श्री गांधी प्रतिज्ञा पत्रपर हस्ताक्षर करनेवाले कुछ लोगोंने लगान देना पहले ही शुरू कर दिया है और श्री गांधी समझौते के लिए तैयार जान पड़ते हैं । २४ अप्रैलको कमिश्नरने कलक्टरको बताया कि वाइसरायके इस आदेशसे कि राष्ट्रीय संकटकी इस घड़ी में घरेलू मतभेद खत्म करने और राजनीतिक प्रचार बन्द करने के जो-जो प्रयत्न सम्भव हों वे सब किये जाने चाहिए, विगत कुछ दिनोंसे स्थिति बहुत कुछ बदल गई है (उस समय जर्मनीका जबरदस्त आक्रमण अपनी चरम सीमापर था)। उनके लेखे इस परिस्थितिमें सरकारका कर्त्तव्य था कि वह ऐसी रियायतें जिनसे राज्य के आवश्यक अधिकार भंग न होते हों, लोगोंको दे। (फिर भी) उद्देश्य यह होना चाहिए कि लगानका सब बकाया जल्दी और पूरा-पूरा वसूल किया जाये। उसने सब पूर्व आदेशोंको रद करते हुए ये निर्देश दिये :

(१) बम्बई भूमि लगान कानूनके अनुच्छेद १५० (ख) के अन्तर्गत जमीन कुर्क करके बकाया लगान वसूल करना बन्द किया जाये।
(२) यदि किसान पूरा लगान दे देता है तो उससे "चौथाई" जुर्माना अर्थात् ऐसा जुर्माना जो अवशिष्ट लगानके चौथे भागसे ज्यादा न हो और जो बम्बई भूमि लगान कानूनके खण्ड १४८ के अन्तर्गत लिया जा सकता है, लेनेके लिए जोर न दिया जाये।
(३) सभी हालतोंमें यदि हो सके तो चुकता न करनेवालेकी चल- सम्पत्ति कुर्क करके लगान वसूल किया जाये (कानूनका खण्ड १५० ग)
(४) यदि जमीन कुर्क की जा चुकी है और किसानने अपना बकाया चुका दिया है तो चालू राजस्व वर्षमें वह जमीन उसे किसी भी समय लौटा दी जानी चाहिए।

उसने यह भी कहा कि जो लोग वास्तवमें लगान चुकानेकी स्थितिमें नहीं हैं, उनपर लगान चुकाने के लिए दबाव न डाला जाये, बल्कि बकायाको अगले वर्षके हिसाबमें शामिल कर दिया जाये।

५. अगले दिन (२५ अप्रैलको) बम्बई सरकारकी दूसरी प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। उसमें कहा गया था कि लगानका अधिकांश भाग चुकाया जा चुका है, जो बचा है, वह ऐसे लोगोंपर बकाया है, जो लगान दे तो सकते हैं, लेकिन उन्हें लगान न देनेके लिए बरगलाया गया है। इन हालतोंमें बम्बई सरकार श्री गांधीकी स्वतन्त्र जाँच कराने की प्रार्थनाको स्वीकार नहीं कर सकती। उसने इस बातपर जोर दिया कि लगानकी मुल्तवी और माफीकी माँग अधिकारके रूपमें नहीं की जा सकती; यह तो राहत देनेके लिए, रियायत के तौरपर किया जाता है। उसने यह भी घोषणा की कि उसके सारे तखमीने और आँकड़े जिनपर लगान वसूलीका निर्णय आधारित है। निरीक्षण के लिए खुले हैं।

६. कलक्टरने कमिश्नर के आदेश यथासमय मामलतदारोंको भेज दिये थे, लेकिन लगता है कि जो लगान नहीं दे सकते थे, उनपर दबाव डालना बन्द करने में