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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गये स्वर्ण तथा बस्ती-अधिनियमोंको पुनः पुष्टि करता है और वर्तमान व्यापारियों तथा उनके उत्तराधिकारियोंको उनकी बस्तियों-विशेष तक ही सीमित करता है। शिष्टमण्डल गवर्नर जनरलसे मिलने तथा उनसे आग्रहपूर्वक यह निवेदन करने जा रहा है कि यह एक वर्ग-विशेषको लाभ पहुँचानेवाला विधेयक है। इसलिए इसे मंजूरी न दें। सरकारने संसद में आलोचकोंकी बात मानते हुए वचन दिया है कि समस्त संघ में भारतीय प्रश्नकी जाँच करनेके लिए (संसदके) अवकाशके समय में दूसरा आयोग नियुक्त किया जायेगा। अन्देशा इस बातका है कि कहीं प्रतिबन्ध लगानेवाले अन्य कानून भी न बनाये जायें। समाज आपसे प्रार्थना करता है कि आप वाइसरायसे अपील करें और एक ऐसे शाही आयोग की नियुक्तिका प्रस्ताव रखें कि जिसमें संघके (स्थानीय) भारतीयों (के हितों) का प्रतिनिधित्व भारत करे। ४ अगस्तको आयोजित संघ भारतीय सम्मेलन बहुत सफल रहा। निश्चय हुआ कि मिलकर कदम उठाया जाये । अनेक संघोंने संकल्प किया कि अधिनियमका विरोध हर कीमतपर करेंगे अस्वात।

बीच-बीच में जो शब्द डाले गये हैं, उन्हें मैंने इस उद्देश्यसे जोड़ा है कि अर्थ स्पष्ट हो जाये। मैंने सर जॉर्ज बान्र्चको उनके नाम लिखे गये पत्रमें जो बात लिखी थी तथा पूनामें[१] अभी हाल ही में एक सार्वजनिक सभामें जो कहा था, उसकी पुष्टि इस तारसे हो रही है । लगाये गये प्रतिबन्ध स्पष्ट हैं:

(१) ट्रान्सवालमें भविष्यमें मौजूदासे ज्यादा भू-सम्पत्ति न रखी जा सकेगी;

(२) स्वर्ण-कानून और बस्ती - अधिनियमसे प्रभावित क्षेत्रके अन्दर अब नये व्यापारिक परवाने न दिये जायेंगे,

(३) जिनके पास इस वक्त परवाने इत्यादि हैं, वे तथा उनके वैध उत्तराधिकारी अपना कारोबार उन्हीं बस्तियोंतक सीमित रखेंगे जिनमें वे आजकल व्यापार चला रहे हैं।

जैसा कि मैं ऊपर कह चुका हूँ इन प्रतिबन्धोंका अर्थ ट्रान्सवालमें बसे हुए भारतीयोंके कारोबारकी बरबादी ही होगा। वहाँके अधिकांश भारतीयोंकी रोजी-रोटीका एकमात्र साधन व्यापार है और सर्वाधिक भारतीय स्वर्ण क्षेत्रमें ही रहते हैं। यदि अधिनियम बना रहता है तो इस इलाकेमें रहनेवाली भारतीय जनता अपने-आप कम होती जायेगी और कुछ ही समयमें वहाँ उसका नाम भी न रहेगा।

तारमें 'मंजूरी' शब्द दो बार आया है। उसमें लिखा है कि विधेयकको मंजूरी दे दी गई है : उसमें इस बातका भी संकेत है कि एक शिष्टमण्डल दक्षिण आफ्रिकाके गवर्नर जनरलके पास आकर यह प्रार्थना करनेवाला है कि मंजूरी न दी जाये। इस तारमें 'मंजूरी' शब्द दूसरी जगह आया है वह कदाचित् अधिकार-पत्र (लेटर्स पेटेंट) में आई हुई उस धाराकी ओर संकेत करता है जिसमें वर्ग-विशेषके लिये लाभकारी

  1. देखिए "भाषण : 'डेकन सभा', पूनाकी बैठकमें", ८-८-१९१९