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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

(४) आपके आवेदनकर्त्ता महसूस करते हैं कि यदि उक्त अधिनियम भारतीय विधान संहितामें बना रहा तो वह भारतके जनमतका खुला और जान-बूझकर किया गया विरोध ही होगा और तब भारतमें उत्तरदायी सरकारकी स्थापनाके लिए किये गये संवैधानिक सुधारोंका कोई महत्त्व और अर्थ नहीं रहेगा।

(५) अतएव आपके आवेदनकर्ता निवेदन करते हैं कि उपर्युक्त परिस्थितियोंके अन्तर्गत आप कृपया अपने निर्णयपर पुनर्विचार करेंगे और महामहिमको सलाह देंगे कि वे आपके जरिये उक्त अधिनियमपर अपनी अस्वीकृति व्यक्त करें।

(६) और इस कृपापूर्ण कामके लिए आपके आवेदनकर्त्ता सदैव कर्त्तव्यबद्ध होकर दुआ देंगे।

आपके अत्यन्त आज्ञाकारी सेवक,

क्रम संख्या हस्ताक्षर निवासस्थान

स्वयंसेवकके हस्ताक्षर

[अंग्रेजीसे]

नवजीवनका परिशिष्ट, १३-११-१९१९

परिशिष्ट ७
हंटर समितिके सचिवका मालवीयजीको पत्र

श्री स्टोक्सने पं० मदनमोहन मालवीयके पत्रका उत्तर देते हुए लिखा है : लॉर्ड हंटरकी समितिका खयाल है कि स्थानीय सरकारके निर्णयपर पुनर्विचार करना उसके क्षेत्रमें नहीं आता। यदि समितिको अपनी जाँचके दौरान ऐसा लगा कि उन लोगों में से, जो अब हिरासतमें हैं, किसीकी गवाहीसे दंगोंके कारणों या उनको दबानेके लिए की गई कार्रवाईपर प्रकाश पड़ सकता है तो उसको समितिके सम्मुख बुलाया जायेगा और उस अवस्थामें, समितिको सन्देह नहीं है कि पंजाब सरकार उस व्यक्तिको समितिके सामने उपस्थित करने में कोई बाधा नहीं डालेगी। समितिका कहना है: "वास्तवमें माननीय लेफ्टिनेंट गवर्नरके निजी सचिवके पत्रसे जिसकी एक नकल आपके पत्रके साथ संलग्न है, जान पड़ता है कि इस बारेमें आपको आश्वासन दे दिया गया है और साथ ही यह वचन भी दे दिया गया कि हिरासत में रखे गये लोगों और समितिको सौंपी गई जाँचके सम्बन्धमें नियुक्त वकीलके बीच परामर्शकी पूरी सुविधाएँ दी जायेंगी। हंटर समिति भी यही अपेक्षा रखती है कि इस सम्बन्धमें सरकार सब उचित सुविधाएँ देगी। लॉर्ड हंटरने भी पंजाब सरकारको निजी तौरपर सुझाव दिया है कि ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए। लॉर्ड हंटरकी समिति अनुभव करती है कि उसके लिए इससे अधिक करनेका कोई अन्य सुझाव देना उचित नहीं हो सकता। यदि कांग्रेसकी