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परिशिष्ट

उप-समिति अब भी यह अनुभव करती है कि वह जाँचमें सहयोग नहीं दे सकती और उसे पूरी जाँचके इस अवसरको छोड़नेके अपने पूर्व निर्णयपर कायम रहना चाहिए तो मेरा निवेदन है कि लॉर्ड इंटरकी समितिको, जो पूरी जाँच करना चाहती है, इस निर्णय से सहमत होते हुए बड़ा खेद होगा।"

[अंग्रेजीसे]

लीडर, १९-११-१९१९

परिशिष्ट ८
कांग्रेस जाँच समितिका पंजाबके सम्बन्ध में वक्तव्य

लाहौर
नवम्बर १७, १९१९

अखिल भारतीय कांग्रेस समितिकी पंजाब जाँच उप-समितिने निम्नलिखित वक्तव्य जारी किया है:

यह जरूरी है कि जनताको उन घटनाओंका श्रृंखलाबद्ध हवाला मिले जिनके कारण कांग्रेस उप-समितिको लॉर्ड हंटरकी समितिसे अपना सहयोग वापस लेनेका निर्णय करना पड़ा है। स्मरण रहे कि पंजाबकी दुःखद घटनाओंके बाद दस दिनके अन्दर अखिल भारतीय कांग्रेस समितिकी २०-२१ अप्रैलको बम्बईमें बैठक हुई। उस बैठकमें उसने हिंसाके सभी कार्योंकी निन्दा की; वहाँ सरकारसे यह भी आग्रह किया कि वह दमन नीति तुरन्त खत्म करके स्थितिपर सहानुभूतिपूर्वक और समझौतेकी दृष्टिसे विचार करे। कांग्रेस समिति द्वारा पास किये गये एक प्रस्तावके अनुसार पिछली २८ अप्रैलको एक आवेदनपत्र प्रधान मन्त्री तथा भारत मन्त्रीको भेजा गया जिसमें समितिने महामहिमकी सरकारसे अत्यन्त आग्रहपूर्वक अनुरोध किया था कि वह हस्तक्षेप करके दमनके तरीकोंको समाप्त करे तथा असन्तोषके कारणों और आम उपद्रवोंके दमन करने में अधिकारियों द्वारा की गई ज्यादतियोंके आरोपोंकी जाँचके लिए अधिकारियों और गैर-सरकारी व्यक्तियोंका एक आयोग नियुक्त करनेका आदेश दे।

मईके अन्तिम सप्ताहमें श्री मॉण्टेग्युने लोक सभामें घोषणा की कि महामहिमकी सरकार और वाइसरायने उपर्युक्त जाँचकी आवश्यकताको स्वीकार किया है। इसके तुरन्त बाद, अखिल भारतीय कांग्रेस समितिकी एक दूसरी बैठक पिछली ८ जूनको इलाहाबादमें हुई जिसमें उस समयकी स्थितिपर विचार किया गया। उसने अन्य प्रस्तावोंके साथ निम्नलिखित प्रस्ताव भी पास किया। समितिको यह जानकर सन्तोष है कि वाइसराय और श्री मॉण्टेग्युने अशांतिके कारणों और अधिकारियों द्वारा किये गये अत्यधिक और गैर-कानूनी बल-प्रयोगके विरुद्ध शिकायतोंकी जाँच करना, इस तथ्यको ध्यान में रखते हुए, स्वीकार किया है कि भारत सरकार और पंजाब सरकारकी नीतिका