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परिशिष्ट

लड़ाई छेड़ने की दृष्टिसे राजनीतिक षड्यन्त्र करनेवाले लोगोंके रूपमें अभियोग चला रही है। उन्हें सरकारने तथाकथित विद्रोहके लिए जिम्मेदार ठहराया है। हमारा विचार है कि जबतक कमसे-कम प्रमुख कैदी समितिके सामने उपस्थित नहीं होते तब-तक वह उस मुकदमेमें जो उसके सामने है, न्याय नहीं कर सकती। यहाँपर यह उल्लेख कर दिया जाये कि हमने दिल्ली में कहा था, लॉर्ड हंटरकी समितिको एक सरकारी गवाहोंकी सूची और उनके छपे हुए बयान दे दिये जायें, ताकि उप-समितिका वकील गवाहोंके साथ बारीकीसे जिरह कर सके, किन्तु यह माँग स्वीकार नहीं की गई। इस तरह यह सम्भव नहीं रहा कि हमारा वकील जेलमें पहले ही कैदियोंसे मिलकर इनके निर्देश प्राप्त कर ले। लॉर्ड हंटरकी उपर्युक्त पत्रका मेरे कुछ साथियोंने जो अर्थ समझा, उन्होंने उसके आधारपर यह सोचा कि जो कैदी जाँचसे सम्बन्धित घटनाओंके साथ मुख्य रूपसे सम्बद्ध थे, उन्हें कैदियोंकी तरह हिरासतमें समितिके सामने आनेकी अनुमति दी जायेगी और तब वे गवाहोंसे जिरह करते समय वकीलको मदद दे सकेंगे; किन्तु हम बिना तसदीक किये किसी बातको पक्का नहीं मान लेना चाहते थे; इसलिए श्री सी० एफ० एन्ड्रयूजने कृपापूर्वक लेफ्टिनेंट गवर्नरके पास जाकर मुद्देको निश्चित रूपसे साफ करवाने की जिम्मेवारी ली। उन्होंने लौटकर हमें बताया कि माननीय महोदय कैदियोंको गवाहके अलावा, अन्य रूप में समितिके सामने उपस्थित नहीं होने देंगे और वह भी केवल उस दिन या उन दिनों जब कि वास्तवमें उस कामके लिए उनकी जरूरत हो। तब कांग्रेस उप-समितिके सामने इसके सिवा और कोई चारा नहीं रहा कि वह लॉर्ड इंटरकी समितिकी कार्रवाइयोंमें भाग न लेनेके अपने घोषणा-पत्रपर स्थिर रहे।

कांग्रेस उप-समिति अत्यधिक व्यग्रताके साथ सोच-विचार करनेके बाद इस निर्णयपर पहुँची है। उसने इसके जो-जो परिणाम हो सकते हैं सभीपर विचार किया और सोचा कि यदि उसे अपने प्रति किये गये विश्वासको निभाना है, यदि उसे राष्ट्रीय सम्मान तथा पंजाबके महान् नेताओंके सम्मानकी रक्षा करनी है, यदि वह सचाई और निर्दोषताको स्थापित देखना चाहती है तो वह एक ऐसी जाँचसे वास्ता नहीं रख सकती जिसमें जनताके पक्षको इस प्रकार भारी अड़चनोंका सामना करना पड़ता हो। स्मरण रहे कि अधिकारी भी उसी प्रकार अभियुक्त हैं जिस प्रकार नेतागण। परन्तु सरकारी अधिकारी न केवल लॉर्ड हंटरकी समितिके सामने उपस्थित होनेके लिए स्वतन्त्र हैं वरन् सरकारी वकीलको निर्देश भी दे सकते हैं। कांग्रेस समितिने लॉर्ड हंटरको जो पत्र लिखा है उसके शब्दोंमें कहें तो उससे एक ऐसे काममें हाथ बँटानेकी आशा नहीं की जा सकती जिसके अन्तर्गत सरकारी अधिकारी, जिनके कामोंपर विचार हो रहा है, समितिके सामने आनेके लिए स्वतन्त्र हों और जनताके प्रतिनिधियोंको हिरासती कैदियोंके रूपमें भी सामने आने की अनुमति नहीं दी गई है जब कि उनके कार्योपर भी उसी प्रकार विचार हो रहा है। अब हम यह सूचित करना चाहते हैं कि हमने कौन-सी रचनात्मक प्रणाली अपनानेका विचार किया है। हम इस नतीजेपर पहुँचे हैं कि गवाही इकट्ठा करनेका अपना काम हम निश्चित रूपसे जारी रखें। हमारे पास पहले से ही अत्यन्त मूल्यवान गवाहियाँ हैं। यह आवश्यक है कि उनमें वृद्धि की