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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जाये और उनकी जाँच की जाये। इसलिए कांग्रेस समितिने श्री गांधी, पंडित मोतीलाल नेहरू, श्री चितरंजन दास, बड़ौदा उच्च न्यायालयके भूतपूर्व न्यायाधीश श्री अब्बास तैयबजी और श्री फजलुल हकको आयुक्तोंके रूपमें नियुक्त किया है; बैरिस्टर श्री सन्तानम् कार्य-मन्त्री होंगे। समिति आशा करती है कि वह जनताके सामने शीघ्र ही घटनाओंका पूरा-पूरा और सही विवरण रख सकेगी। नीचे प्रथम हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्तिने किसी भी प्रकार गलतफहमीसे बचनेके लिए जान-बूझकर स्वयं आयुक्त बननेसे अपनेको रोका है। वह सादर निवेदन करता है कि समितिका अध्यक्ष होनेके नाते उसे समिति के समग्र कामकी देखभाल करनेकी स्वतन्त्रता तो रहेगी ही।

मदनमोहन मालवीय,
अध्यक्ष
मोतीलाल नेहरू,
उपाध्यक्ष

[अंग्रेजीसे]

अमृतबाजार पत्रिका, १९-११-१९१९

परिशिष्ट ९
ई० कैंडलरका पत्र

लाहौर
दिसम्बर १२, १९१९

प्रिय श्री गांधी,

लाहौर कॉलेजके एक हिन्दू प्रोफेसरसे जो मेरे बहुत पुराने मित्र हैं, कल बातचीत करते समय मुझे मालूम हुआ कि (२९ नवम्बर, १९१९ के) हक'में मेरा जो लेख प्रकाशित हुआ है वह भारतीय शिष्टाचार और परम्पराको देखते हुए जान-बूझकर चोट पहुँचानेवाला प्रतीत हो सकता है, उसमें मैंने आपकी बेटीके विवाहकी सम्भावना किसी मुसलमानके साथ हो सकने की बात की है। वह उन्हें कुरुचिपूर्ण लगा। मैं नहीं जानता आपके बाल-बच्चे हैं या नहीं; किन्तु आप शायद यह मान लेंगे कि यह व्यक्तिगत मुद्देका तो प्रश्न था ही नहीं और यदि रहा भी हो तो केवल आपके मन्तव्यकी हदतक ही था। जब मैंने यह लेख लिखा था, तब मुझे इसका कोई आभास नहीं था कि किसी अत्यन्त रूढ़िवादी व्यक्तिके सिवा कोई और भी बेटी या पत्नीके उल्लेखको अभद्र और चोट पहुँचानेवाला मानेगा। यदि उस अंशसे आपका कुछ भी व्यक्तिगत अपमान हुआ हो तो मैं विनती करता हूँ कि आप मुझे क्षमा कर दें। आप मेरे इस कथनपर विश्वास करें कि मुझे जितना दुःख यह जानकर होता है कि मैंने न चाहते हुए भी किसीको चोट पहुँचाई है उतना और किसी बातसे नहीं होगा; और खास करके 'हक'में जिसे