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परिशिष्ट

मैं हर तरहके अनौचित्य या कुरुचिसे अछूता रखना चाहता हूँ। मुझे आपको यह बताने की जरूरत नहीं कि लेखका राजनीतिक उद्देश्य इन प्रश्नोंको साफ-साफ आपके सामने रखना था। क्या आप ब्रिटिश-विरोधी आन्दोलन सरकारको इस खयालसे परेशानी में डालने के लिए चला रहे हैं कि तुर्कोंके लिए शर्तोंमें सुधार हो? क्या तुर्कोंके दावे सचमुच में आपको इतने प्रिय हैं कि आप उनके लिए अपने देशकी शान्ति भंग करेंगे और सो भी ग्लैडस्टन, मॉर्ले, ब्राइस जैसे व्यक्तियोंके निर्णय के रहते हुए? मेरा विश्वास है कि इन व्यक्तियोंकी रायकी आप कद्र करते हैं और इनके तटस्थ होने में आपको सन्देह नहीं है। इन्होंने इस आन्दोलनसे बहुत पहले तुर्कों द्वारा अधीन जातियोंके प्रति किये जानेवाले व्यवहारकी यह कहकर निन्दा की थी कि यह आधुनिक सभ्यतासे बिलकुल बेमेल है। उन्होंने अपने जीवनका बड़ा भाग उसका प्रतिकार करनेमें लगा दिया था। यदि आप चाहें तो इस पत्रका निजी या सार्वजनिक रूपसे, जैसा उचित समझें, उपयोग कर सकते हैं।

हृदयसे आपका,
एडमंड कैंडलर

[अंग्रेजीसे]

न्यू इंडिया, १८-१२-१९१९

परिशिष्ट १०
जनरल स्मट्सका शिष्टमण्डलको उत्तर

मन्त्रीने अपने उत्तरमें कहा कि वे संघ में सभीके लिए उचित व्यवहार और न्याय चाहते हैं। भारतीय समाजको भी समझना चाहिए कि भारतीय समाजकी प्रगतिको कम करनेके लिए एक आन्दोलन बड़ी दृढ़ताके साथ चलाया जा रहा है और उसे प्रबल समर्थन प्राप्त है। यह सलाह देना समाजके हित में नहीं है कि पिछले मामलोंको कुरेदकर उन्हें प्रस्तावित आयोगकी जाँचके मुद्दोंमें शामिल कर दिया जाये। इसलिए बेहतर होगा कि केवल व्यापारके मामलेपर एकबारगी हमेशा के लिए पूरी तरह विचार किया जाये। चूँकि भारतीय अचल सम्पत्ति प्राप्त करनेके लिए उत्सुक नहीं हैं, इसलिए उस मामलेको अलग कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारतीय समाजके हितोंके संरक्षण और उसकी मदद के लिए सर बेंजामिन रॉबर्ट्सन आ रहे हैं। इसलिए सर बेंजामिन और आयोग दोनोंको यथासम्भव मदद देना स्वयं भारतीयोंके हित में होगा। उन्होंने यह कहकर अपना कथन समाप्त किया कि वे भारतीय सरकारके साथ और जो लोग संघमें बस गये हैं उनके साथ बहुत ही अच्छे सम्बन्ध रखने के लिए अत्यन्त उत्सुक हैं। वे अपनी सरकारके अधीन यह प्रयत्न करेंगे कि सबके साथ न्यायोचित व्यवहार हो। उन्हें किसी अन्य शिष्टमण्डलसे मिलनेकी जल्दी थी; इस कारण वे जितना समय शिष्टमण्डलको देना चाहते थे उतना नहीं दे सके; तथापि