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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वे तथ्योंको नहीं भूलेंगे। आयोगके कारण शायद दो वर्षोंतक दूसरा आन्दोलन शुरू नहीं होगा, और हमें सुविधा होगी कि हम देखें कि क्या किया जा सकता है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २४-१२-१९१९

परिशिष्ट ११
खिलाफत शिष्टमण्डलका वाइसरायको ज्ञापन[१]

[दिल्ली
जनवरी १९, १९२०]

उस अल्लाहके नामके साथ जो रहमान और रहीम है

भारतके वाइसराय और गवर्नर जनरल परमश्रेष्ठ, परममाननीय बैरन चेम्सफोर्ड पी० सी०, जी० एम० एस० आई०, जी० सी० एम० जी०, जी० एम० आई० ई० को समर्पित।
परमश्रेष्ठकी सेवामें निवेदन है कि:

हाल ही में अमृतसरमें आयोजित महत्त्वपूर्ण खिलाफत सम्मेलन द्वारा अधिकृत खिलाफत शिष्टमण्डलके हम सदस्यगण एक बहुत अहम मामलेमें आपकी सरकारकी सहानुभूति और अधिक से अधिक सहायता प्राप्त करनेकी दृष्टिसे सेवामें उपस्थित हुए हैं। यकीन है कि आपकी सहानुभूति और सहायतासे हम वंचित नहीं रहेंगे। खिलाफत सम्मेलनने कई बार यह प्रस्तावित किया है कि एक शिष्टमण्डल जल्दी ही इंग्लैंड भेजा जाये और वह महामहिम सम्राट् तथा उनके मंत्रियोंके सम्मुख जिन कर्त्तव्योंके पालनके लिए प्रत्येक मुसलमान धर्मकी रूसे बाध्य है उनके तथा खिलाफत और उससे सम्बन्धित सवालोंपर भारतके मुसलमानोंकी संयुक्त इच्छाओंके बारेमें एक स्पष्ट और विस्तृत वक्तव्य रखे, जैसे अरब प्रायद्वीपके सभी हिस्सोंपर मुस्लिम नियन्त्रण, धार्मिक स्थानोंपर खलीफा के अधिकार और ऑटोमन (तुर्की) साम्राज्यकी अखंडतासे सम्बन्धित सवाल। मुसलमानोंकी यह इच्छा किसी भी समय स्वाभाविक और सराहनीय मानी जाती, लेकिन आज जो गम्भीर स्थिति है वह तेजीसे एक खतरेका ही रूप लेती जा रही है; यह देखते हुए जरूरी हो गया है कि इस इच्छाको तत्काल व्यक्त किया जाये

  1. इस ज्ञापनपर, जिसे डॉ० एम० ए० अंसारीने पढ़ा था, हस्ताक्षर करनेवाले लोगों में निम्नलिखित महानुभाव भी थे: गांधीजी, हकीम अजमलख, शौकत अलीखाँ, मुहम्मद अलीखाँ, मौलाना अब्दुल वारी, मौ० अबुल कलाम आजाद, मौ० हसरत मोहानी, सैयद जहीर अहमद, अ० भा० मुस्लिम लीगके मन्त्री, डॉ० सैफुद्दीन किचलू पण्डित रामभजदत्त चौधरी, स्वामी श्रद्धानन्द, पंडित मदनमोहन मालवीय, पण्डित मोतीलाल नेहरू, सैयद हसन इमाम, मुहम्मद अली जिन्ना और श्री फजलुल हक।