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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वे इस तथ्य से भी, जो दिन-प्रतिदिन साफ होता जा रहा है, अनभिज्ञ नहीं हैं कि आपकी सरकार, विभिन्न स्थानीय सरकारें और अवकाश ग्रहण करनेसे पूर्व भारतमें जिम्मेदार पदोंपर रहे हुए अंग्रेज अधिकारी धीरे-धीरे यह समझ गये हैं और दिन-प्रतिदिन अधिकाधिक समझते जाते हैं कि टर्कीके खलीफा के साथ किये जानेवाले समझौते में भारत के मुसलमानों और उनके साथियोंकी गहरी दिलचस्पी है। हम कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार करते हैं कि साथ ही श्रीमान्‌की सरकार और परम माननीय विदेश मंत्रीने भारतमें शान्ति और सुशासन तथा सीमाओंपर शांति बनाये रखने की अपनी जिम्मेदारीको अनुभव करते हुए, ब्रिटिश सरकारसे इस बारेमें प्रार्थना की है। लेकिन ब्रिटिश सरकार स्थानकी दूरी और राजनीतिक एवं धार्मिक वातावरणकी दृष्टिसे हमसे इतनी अधिक विलग है कि प्रत्यक्षतः हमारी आवाज या यहाँकी सरकारकी प्रार्थनाका ब्रिटिश सरकारके मन्त्रियोंके मत, दृष्टिकोण और पूर्वनिर्मित विचारोंपर कोई खास असर नहीं पड़ा। यदि इस बातको सिद्ध करनेके लिए प्रमाणोंकी जरूरत हो तो मन्त्रियोंके कुछ वक्तव्योंका हवाला दिया जा सकता है। वक्तव्योंसे लगता है कि वे विश्वहित और महत्त्वके मामलोंका निबटारा करनेकी जिद कुछ इस तरह करते हैं मानो यह मामला केवल या मुख्यतः महामहिम सम्राट्के ब्रिटेन में जन्मे और ईसाई धर्मके माननेवाले एक छोटेसे प्रजावर्गसे ही ताल्लुक रखता हो। शेष प्रजाजनोंसे वे यह अपेक्षा रखते जान पड़ते हैं कि वे उनके आदेशोंके आगे जो संकुचित हैं और साम्राज्य हितकी नीतिसे बहुत दूर हैं, स्वेच्छासे झुकें भले ही नहीं, चुपचाप बरदाश्त तो कर ही लेंगे। क्या हमें यह कहने की जरूरत है कि जनताके एक छोटेसे प्रजा वर्ग और एक धर्म-विशेषको ही ध्यान में रखकर किए जानेवाले समझौतेसे जो स्थिति उत्पन्न होगी उसके बारेमें लगाया गया अनुमान बिलकुल गलत और घातक सिद्ध होगा। यद्यपि हमें इस बातकी गम्भीर आशंका है कि इस अनुमानके खतरनाक परिणाम निकलेंगे और यद्यपि हम उन्हें समय रहते रोकने के लिए और भी अधिक चिन्तित हैं, तथापि हम इस निष्कर्षपर पहुँचनेके लिए मजबूर हुए हैं कि साम्राज्यके अधिकारियोंको उन खतरोंके विरुद्ध एक सामयिक चेतावनी देनेकी आखिरी कोशिश अवश्य की जानी चाहिए, जो हमें साफ-साफ दिखाई पड़ते हैं। साथ ही उनसे यह विनम्र प्रार्थना भी करनी चाहिए कि वे ऐसे किसी समझौतेके दुष्परिणामोंको, जिसे दुनियाके मुसलमानोंपर उनके धर्मके स्पष्ट निर्देशोंके विपरीत और मानवजातिके इतने बड़े भागकी संयुक्त इच्छाके विरुद्ध थोपनेका प्रयास किया जा रहा है, घटित न होने दें। ऐसे गम्भीर मामलोंके बारेमें जल-स्थलके मार्गसे सात हजार मीलकी दूरीपर स्थित देशके साथ तारोंके जरिए विचार-विनिमय करने की स्वाभाविक कठिनाई तथा अपने हालके अनुभवके कारण विवश होकर हमने निश्चय किया है कि हम आपकी सहायतासे अपना एक शिष्टमण्डल जल्दी से जल्दी इंग्लैंड ले जायें और महामहिम सम्राट् और उनके मन्त्रियोंके सामने अपनी यह नम्र किन्तु स्पष्ट प्रार्थना स्वयं रखें और चूंकि हमें बार-बार यह बात याद रखनेके लिए कहा जाता है कि मित्र राष्ट्रों और साथी राष्ट्रोंके बीच ब्रिटेनकी स्थिति चाहे जैसी हो, वह ऐसे किसी समझौतेकी व्यवस्था