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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मद्रास गवर्नरको कुमारी फैरिंगके आश्रम में आ जाने की सूचना दी।
आनन्दशंकर ध्रुवके अभिनन्दन समारोह में भाग लिया।
अहमदाबाद से बड़ौदा होते हुए लाहौरके लिए रवाना।


अक्तूबर २४ : लाहौरके नागरिकों द्वारा स्टेशनपर गांधीजीका उत्साहपूर्ण स्वागत।
भारत सरकारके गृह विभागने बम्बई सरकारके न्याय विभागको सूचना दी कि उसका गांधीजी पर किसी प्रकारका प्रतिबन्ध लगाने का कोई इरादा नहीं है।


अक्तूबर २७ : गांधीजीकी लेफ्टिनेंट सर एडवर्ड मैकलेगन और डिप्टी कमिश्नरसे भेंट।


अक्तूबर २८ : पंडित रामभजदत्त चौधरीके निवास स्थानपर विद्यार्थियोंके समक्ष भाषण।
पंजाब जाँच समितिकी सभा में भाग लेनेके लिए सी० एफ० एन्ड्रयूजके साथ दिल्लीके लिए रवाना।
भारत सरकारने मद्रास प्रान्तके मुख्य सचिवको सूचित किया कि १५ अक्तूबर १९१९से गांधीजी पर लगाये गये प्रतिबन्ध उठा लिये गये हैं और वे भी ऐसा ही करें।


अक्तूबर २९ : गांधीजीने पंजाब जाँच समितिको बैठकमें भाग लिया। लॉर्ड हंटर तथा अन्य अधिकारियोंसे भेंट।
स्वामी श्रद्धानन्दकी अध्यक्षता में हुई सार्वजनिक सभामें भाषण।


अक्तूबर ३१ : साबरमती आश्रमको तार दिया कि "जबतक खिलाफतके प्रश्नका सन्तोषजनक निपटारा नहीं होता तबतक शान्तिके लिए कोई समारोह न किया जाये।"
बम्बई उच्च न्यायालय के पंजीयकने गांधीजीका स्पष्टीकरण असन्तोषजनक माना और क्षमा-याचनाके प्रकाशनकी मांग की।


नवम्बर १ : गांधीजीकी दक्षिण आफ्रिकी आयोगके सम्बन्धमें एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाके प्रतिनिधिसे भेंट।
पटौदी हाउसमें दिल्लीके शहीदों की स्मृति में आयोजित सभामें भाषण; अव्यवस्थाके कारण सभा विसर्जित।


नवम्बर २: दिल्लीके शहीदों की स्मृतिमें दुबारा सभा आयोजित। गांधीजीका भाषण।


नवम्बर ३ : पंजाब जाँच समिति के प्रथम खुले अधिवेशनका आयोजन।
गांधीजी द्वारा मार्शल लॉके मामलोंमें गवाही लेनेका समाचार।


नवम्बर ४: अमृतसरके स्वर्ण मन्दिरमें सरोपा भेंट।
महिलाओं की सभा में स्वदेशीपर भाषण; जलियांवाला बाग और खालसा कालेज देखने गये।
एन्ड्रयूजके साथ लाहौरके लिए रवाना।


नवम्बर ७ : वकीलको राय मिलने तक अवकाश देनेके लिए बम्बई उच्च न्यायालयके पंजीयकको तार।


नवम्बर ११ : मदनमोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, सी० आर० दास और एन्ड्रयूजके साथ सलाह-मशविरा।