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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और उसे पेशेवर बुनकरोंसे बनवा लेती हैं। स्वदेशी व्रतोंका उद्देश्य लोगों में स्वदेशीके लिए रुचि पैदा करना है। आपको मोटे कपड़ेपर शर्मिन्दा नहीं होना चाहिए। वास्तव में हाथके कते-बुने कपड़े में, वह चाहे जितना मोटा हो, मशीनके कपड़ेसे, वह चाहे जितना सुन्दर हो, कहीं अधिक कला है। परन्तु कलाके अलावा आप आत्मसम्मान, बुद्धिमत्ता और अर्थ-वृष्टि आदि प्रत्येक विचारसे इस बात के लिए बँधे हैं कि आप अपने गाँवमें बन सकनेवाला कपड़ा ही पहनें और तबतक उसीसे सन्तुष्ट रहें जबतक अपनी क्षमता, उद्योग और उत्साहके बलपर उससे बेहतर किस्मका कपड़ा तैयार न कर सकें।

कार्रवाईके अन्तमें अध्यक्षने कहा कि मुझे इस सभाकी अध्यक्षता करनेकी खुशी है। उन्होंने श्री गांधीको उनके सारगर्भित भाषणके लिए धन्यवाद दिया और श्रोताओंसे स्वदेशी में मदद करनेके लिए कहा। अध्यक्षको धन्यवाद देनेके प्रस्तावके साथ सभा समाप्त हुई।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २०-८-१९१९

२३. भाषण : गोधराकी सार्वजनिक सभामें

अगस्त १५, १९१९

इसके बाद श्री गांधीने लोगोंकी एक विशाल सभामें पंजाबकी स्थितिके बारेमें भाषण दिया। उन्होंने संक्षेपमें गत अप्रैलकी घटनाओंका सिंहावलोकन करते हुए कहा कि यदि वे सजाएँ और अभियोग, जिनमें से अनेक मेरी दृष्टिसे अनुचित और गलत हैं- उठा नहीं लिये जाते तो वे ब्रिटिश न्यायपर कलंक बन जायेंगे। यदि आप पंजाब में हुई सारी कार्रवाइयोंकी निष्पक्ष जाँच करानेका आग्रह नहीं करते तो आपकी देशभक्तिपर उससे भी बड़ा दाग लगेगा। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि शीघ्र ही एक ऐसी समिति की नियुक्ति होगी। उन्होंने श्रोताओंसे भी पंजाब के पीड़ितों की सहायता के लिए खोले गये कोषमें दान देनेका अनुरोध किया। इसके बाद एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें सरकारसे माँग की गई कि असन्तोषके कारणोंकी जाँच करने और सजाओंपर पुनर्विचार करनेके लिए एक स्वतन्त्र समिति नियुक्त की जाये। प्रस्ताव में जनतासे पंजाब कोषमें धन देने को भी कहा गया।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २०-८-१९१९