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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जानकारीका उपयोग किया और जैसा कि एक सत्याग्रहीके लिए उचित है, संघर्ष बन्द कर दिया। अगर मैं इसे जारी रखता तो सरकारके साथ दुराग्रह और अविनय बरतनेका दोषी बनता और जिन लोगोंका मार्गदर्शन करनेका मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ था उनके कष्टोंकी उपेक्षा करनेका अपराधी माना जाता। लोगोंको परिणामकी सूचना देते हुए जो टिप्पणी[१] भेजी गई उसमें मेरे सहयोगियोंने और मैंने समझौतेका वर्णन इस प्रकार किया था :

उत्तरसंडा, नडियादके मामलतदारने तारीख ३ जूनको ऐसा हुक्म जारी किया। इसपर उत्तरसंडाके लोगोंमें जो समर्थ हैं, उन्हें लगान जमा कर देनेकी सलाह दे दी गई है, और वहाँ लगान जमा कराना शुरू हो गया है।
उत्तरसंडामें उपर्युक्त आदेश जारी किये जानेके बाद कलक्टरको यह सूचित करते हुए एक पत्र लिखा गया कि उत्तरसंडामें जैसे आदेश जारी किये गये हैं यदि वैसे आदेश सभी जगह जारी कर दिये जायें तो आन्दोलन समाप्त कर दिया जायेगा और तब आगामी १० तारीखको, जब प्रान्तीय युद्ध-सम्मेलनकी बैठक शुरू होगी, परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदयको यह शुभ संवाद दिया जा सकेगा कि खेड़ाके स्थानीय मतभेदका निपटारा हो गया है। कलक्टरने जवाब दिया है कि उत्तरसंडामें जारी किया गया आदेश सारे जिलेपर लागू होता है; इस प्रकार अन्ततः जनताकी माँग स्वीकार कर ली गई है। कलक्टरने चौथाईसे सम्बन्धित आदेशोंके सिलसिलेमें की गई पूछताछके उत्तरमें यह भी बताया है कि जो लोग स्वेच्छासे अदायगी कर देंगे उनके विरुद्ध ये आदेश लागू नहीं किये जायेंगे। हम इस रियायतके लिए कलक्टरके आभारी हैं।
परन्तु, हमें यह कहना पड़ता है कि संघर्ष तो समाप्त हो गया है; लेकिन समाप्ति शोभनीय ढंगसे नहीं हुई। इसमें गरिमाका अभाव है; उपर्युक्त आदेश न तो उदारतासे जारी किये गये हैं और न सच्चे हृदयसे। स्पष्टतः ऐसा लगता है कि ये आदेश बहुत ही पसोपेशके साथ जारी किये गये हैं। कलक्टरका कहना है :
सब मामलतदारोंके नाम यह आदेश जारी कर दिया गया था कि जो अदायगी करनेकी स्थितिमें न हों, उनपर कोई दबाव न डाला जाये। २२ मईको बाकायदा एक परिपत्र भेजकर इन आदेशोंकी ओर उनका ध्यान पुनः दिलाया गया था। इन आदेशोंपर कारगर ढंगसे अमल हो सके इसलिए मामलतदारोंसे यह भी कहा गया था कि वे लगान अदा न करनेवालोंको दो वर्गों में छाँट लें। एकमें वे लोग रखे जायें जो अदा करनेकी स्थितिमें हैं और दूसरेमें वे लोग जो गरीबीके कारण लगान देनेमें असमर्थ हैं।
अगर बात ऐसी ही थी तो इन आदेशोंको जनताकी जानकारीके लिए प्रकाशित क्यों नहीं किया गया? अगर उन्हें इसकी जानकारी २५ अप्रैलको हो जाती तो न जाने वे कितनी मुसीबतोंसे बच जाते। सरकारने इस जिलेके
  1. देखिए खण्ड १४, पृष्ठ ३९९-४०१