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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शुरू करनी पड़ी तो अब उसे समयसे पूर्व शुरू करनेका आरोप लगनेकी सम्भावना नहीं रहेगी। इस प्रकार हरएक दृष्टिसे मैं यही महसूस करता हूँ कि फिलहाल हमें आन्दोलन- का और आम जनताकी राय बनानेके लिए सभा आदिका पुराना रास्ता फिर अपनाना चाहिए। उसमें वक्ताओंसे सदा इस बातका आग्रह रखा जाये कि वे तथ्य बतलाने- तक ही अपनेको सीमित रखें और निन्दात्मक तथा उत्तेजनात्मक भाषाके प्रयोगसे बचें रौलट कानूनकी ठीक-ठीक व्याख्या करना ही उसकी कड़ी से कड़ी निन्दा करना है।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १६-८-१९१९

२६. पत्र : वी० एस० सुन्दरमको

लैबर्नम

रोड बम्बई

अगस्त १७, १९१९

प्रिय सुन्दरम्

जो पढ़े जा सकें ऐसे अक्षर लिखा करो। फैशनेबल लिखावटकी अपेक्षा बाबुओं जैसा सँभालकर लिखना कहीं अच्छा है।

नींद आ जाये इसके लिए तुम्हें संस्कृत या तेलगूका कोई पद गाना चाहिए। अपने कमजोर शरीरके लिए तुम्हें शर्मिन्दा होना चाहिए।

कुमारी फैरिंगके पास तुम कब जा रहे हो? मुझे उसका एक संक्षिप्त-सा पत्र मिला था। उसे बताना कि में जवाब नहीं लिख रहा हूँ।

क्या वहाँ के लोगोंने कताई सीखना शुरू कर दिया है?

देवदास के बारेमें तुम्हारा तार मुझे मिला था। तुम 'हिन्दू', 'स्वदेश मित्रन्' आदिमें, स्वदेशी तथा कताईकी जो प्रगति तुमने यहाँ देखी, उसपर लेख भेज सकते हो। प्रशंसापूर्ण लेख मत लिखना बल्कि मात्र तथ्य पेश करना। अपना आशय समझाने में तथ्य ही सबसे ज्यादा कारगर रहते हैं।

हृदयसे तुम्हारा,

मो० क० गांधी

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ३१९९) की फोटो - नकलसे।