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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


पहचानने में गलतीकी सम्भावना है कि उन्होंने उसे सक्रिय रूपमें कुछ भी करते नहीं देखा था। इस सबके साथ यह तथ्य भी जोड़कर देखिये कि अभियोग पक्षके गवाह केवल कुछ मिनटोंके लिए भीड़में थे और वह भी उस समय जब, सरकारी सबूत के अनुसार पहले दर्जेके डिब्बेपर पत्थर फेंके जा रहे थे। शिनाख्त सम्बन्धी इतनी अधिक अनिश्चयात्मक साक्षीके आधारपर एक आदमीको फाँसीका हुक्म दे देना न्याय नहीं है। १४ अप्रैलको वह अपने गाँव में था। इसको साबित करनेके लिए करमचन्द के पिताने मुझे और भी विवरण दिया है। जाहिर है कि इसके अतिरिक्त, उसकी निर्दोषता सिद्ध करनेके लिए मैं अधिक महत्त्वपूर्ण साक्ष्य पेश नहीं कर सकता। उसका पिता अपने पत्र में लिखता है कि करमचन्दकी सजा घटाकर १० सालकी सख्त कैद[१] कर दी गई है। जाहिर है कि वह इससे सन्तुष्ट नहीं। आशा है कि पंजाबके माननीय लेफ्टिनेंट गवर्नर खुद मुकदमेका अध्ययन करेंगे; और यदि ऐसा किया गया तो मुझे इस बात में संदेह नहीं है कि करमचन्द बरी कर दिया जायेगा। यह भी आशा है कि उसके साथके अभियुक्त, जिन्हें फाँसीका हुक्म हुआ था, अबतक जिंदा हैं; उस हालत में आगामी जाँच समिति उनके मामलोंपर पुनर्विचार कर सकेगी।

हम लोग, जो इस अहाते (बम्बई) में रह रहे हैं, पंजाबकी कार्रवाइयोंकी तुलना, इस समय अहमदाबादमें जो कार्रवाई चल रही है उससे किये बिना नहीं रह सकते। वीरमगाँव में विक्षुब्ध भीड़की नीचतापूर्ण और नृशंस क्रूरतासे ज्यादा तो हाफिजाबादमें कुछ हुआ ही नहीं था। फिर भी यह देखकर मैं आभारी हूँ कि उस न्यायाधिकरणने न्यायिक रूपसे शान्तचित्त होकर, बिना उत्तेजित हुए जाँच की है और बचाव पक्षके वकीलको प्रत्येक तथ्यको प्रकाशमें ला सकनेका हर तरहसे अवसर दिया है; और उस मामले में एक भी व्यक्तिको फाँसीको सजा देनेकी बात उसके मनमें नहीं आई। जहाँतक मैं जानता हूँ उसके फैसलोंकी अधिक विरोधपूर्ण आलोचना भी नहीं हुई जब कि पंजाबके न्यायाधिकरणोंके प्रत्येक फैसलेकी, जो भी प्रकाशमें आये, सख्त से सख्त आलोचना हुई है। जिसकी नियुक्तिका वचन दिया गया है वह जाँच समिति ही इस वैषम्यको दूर कर सकती है। इस बीच हम आशा करते हैं कि जनता बिलकुल ही स्पष्ट अन्याय- के मामलोंमें, जैसा कि बेचारे करमचन्दका है, पूरी तरह बिना शर्त रिहाईकी माँग करेगी।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २०-८-१९१९

  1. बादमें और भी घटाकर यह एक साल कर दी गई थी।