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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


हैं जिसमें उन्हें मेहनत करके कुछ पैसे मिल सकें तो मैं चकित हुआ। हमें सिर्फ इतना ही करना जरूरी है कि उन्हें कुछ सस्ते चरखे और धुनी हुई साफ रुई मुहैया कर दी जाये। एक सीमित पैमानेपर ये दोनों चीजें उन्हें उपलब्ध करानेका प्रबन्ध किया जा चुका है। पुरुष और स्त्रियाँ दोनों ही इसमें अधिकाधिक दिलचस्पी ले रहे हैं। लेकिन यदि इस आन्दोलनको प्रतिष्ठित लोगोंकी सरपरस्ती हासिल हो जाये तो यह काम कहीं ज्यादा तेजीसे चल सकता है।

अनुरोध

इसलिए मैं निम्नलिखित अनुरोध करता हूँ :

१. परमश्रेष्ठ स्वदेशी आन्दोलनका समर्थन करते हुए एक पत्र[१] लिखनेकी कृपा करें, जिसे हम प्रकाशित कर सकें; उसमें खास तौरपर हाथ कताई और हाथ-बुनाई आरम्भ किये जानेका समर्थन हो।

२. सहकारी समितियोंके पंजीयक (रजिस्ट्रार) को सत्ता दी जाये कि वह हाथ-कताई और हाथ-बुनाईको प्रोत्साहन दे सके और उसके लिए आवश्यक तरीके खोजे।

३. कलक्टरों और अन्य सरकारी अमलदारोंसे कहा जाये कि वे आन्दोलनको बढ़ावा दें, और विशेष रूपसे किसानोंको हाथसे सूत कातने और हाथसे बुनाई करनेके लिए प्रोत्साहित करें।

४. और यदि इसे मेरी धृष्टता न समझा जाये तो मैं परमश्रेष्ठसे सविनय निवेदन करूँगा कि मेरी ओरसे वे लेडी जॉर्ज लॉयडको मेरी कताई-कक्षाओंका संरक्षक बननेपर राजी कर लें। कई भद्र महिलाएँ गरीबोंको इस उद्योगमें प्रोत्साहित करनेके लिए स्वयं कताईकी शिक्षा ले रही हैं। यदि उन्हें ( हर एक्सेलेंसीको) भी एक चरखा

  1. सितम्बर १ को कॉवीने उत्तर दिया कि गवर्नर महोदय कुछ ही दिनोंमें जवाब लिख भेजेंगे। लगता है, गांधीजीने १६ सितम्बर को लिखे एक दूसरे पत्रमें अन्य बातोंके अलावा इसके सम्बन्धमें भी लिखा था। ७ अक्तूबरको उन्हें गवर्नरके निजो सचिवकी ओरसे निम्नलिखित उत्तर मिला : "परमश्रेष्ठकी इच्छासे मैं आपके २५ अगस्त और १६ सितम्बरके उन पत्रोंका उत्तर भेज रहा हूँ जिनमें आपने स्वदेशी आन्दोलनके सम्बन्धमें परमश्रेष्ठके विचार जानने की इच्छा व्यक्त की है। परमश्रेष्ठको ऐसे हर आन्दोलनसे पूरी सहानुभूति है जिसका उद्देश्य भारतके राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि करना हो। हाँ, उनके परिणाम ऐसे न हों जिनसे भारतीय उद्योगको दूसरे उत्पादक देशोंसे सफलतापूर्वक होद लेने में कठिनाई हो। मेरा खयाल है, वित्तीय प्रश्नके सम्बन्धमें परमश्रेष्ठके विचारसे आप भली-भाँति अवगत हैं और इस सम्बन्धमें उनका विचार यह है कि आर्थिक और तकनीकी शिक्षाको अधिकाधिक सुविधाएँ देनेके साथ-साथ वित्तीय समस्याका समुचित समाधान प्रस्तुत करना भारतके औद्योगिक विकासमें सहायता देनेका सबसे अच्छा तरीका है। परमश्रेष्ठ आपके नये पत्र नवजीवनकी प्रगतिको दिलचस्पीसे देखेंगे। और जहाँतक नडियादमें अतिरिक्त पुलिस रखने तथा श्री मणिलाल व्यासके मामलेके सम्बन्धमें आपकी उक्तियोंका सवाल है, परमश्रेष्ठकी इच्छा है कि मैं आपको आश्वस्त कर दूँ कि उन्होंने इन मामलोंपर पूरी तरह गौर किया है।" गांधीजीको जिस दिन यह पत्र मिला, उन्होंने उसी दिन उसका उत्तर दिया था; देखिए " पत्र : बम्बईके गवर्नरके निजी सचिवको ", अक्तूबर ७, १९१९ के बाद।