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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी उग्र और धर्मान्धतापूर्ण प्रचार करे, उसके कारण लोग अपना घर-बार छोड़कर एक अनजाने देशके लिए प्रस्थान नहीं कर सकते। वे ऐसा तभी कर सकते हैं जब उनको इस बातका गहरा विश्वास हो कि जो राज्य उनकी धार्मिक भावनाका कोई खयाल न करे, उसमें शाही ठाठ-बाटसे रहनेकी अपेक्षा उसे छोड़कर भिखारीका जीवन स्वीकार करना ज्यादा अच्छा है। यह सब दृश्य भारत सरकारकी आँखोंके सामने ही घटित हो रहा है, लेकिन वह उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देती। इसका कारण तो यही हो सकता है कि वह शक्तिके मदमें चूर है।

लेकिन इस आन्दोलनका एक दूसरा पक्ष भी है। नीचे इसी १० तारीखकी जो सरकारी विज्ञप्ति दी गई है, उससे इस दूसरे पक्षसे सम्बन्धित तथ्य मालूम हो जायेंगे।

पेशावर और जमरुदके बीच कच्चागढ़ीमें इसी ८ तारीखको मुहाजरीनोंके सम्बन्धमें एक दुर्भाग्यपूर्ण वारदात हो गई। अभीतक उसके सम्बन्धमें जो खबरें मिली हैं, उनके अनुसार तथ्य इस प्रकार हैं: महाजरीनोंका एक दल ट्रेनसे जमरुद जा रहा था। उस दलके लोगोंमें से दोको ब्रिटिश सैनिक पुलिसने बिना टिकट यात्रा करते पाया। इस्लामिया कालेज स्टेशनपर कुछ बकझक हो गई, लेकिन गाड़ी चलती रही और वह कच्चागढ़ी पहुँची। इन दोनों मुहाजरीनोंको छुड़ानेकी कोशिश की गई, जिसमें कोई चालीस मुहाजरीनोंके एक दलने सैनिक पुलिसपर हमला कर दिया, और जो ब्रिटिश अधिकारी बीच-बचाव करने आया उसे उन्होंने फावड़ेसे गहरी चोट पहुँचाई। इसपर कच्चागढ़ीमें भारतीय सैनिकोंकी एक टुकड़ीने महाजरीनोंपर दो-तीन बार गोलियाँ चलाईं, क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश अधिकारीपर घातक हमला किया था। एक मुहाजरीन मारा गया, एक घायल हुआ और तीनको गिरफ्तार कर लिया गया। मृत मुहाजरीनके शरीरको पेशावर भेज दिया गया और वहाँ ९ तारीखको उसे दफना दिया गया। इस वारदातके कारण पेशावर नगरमें बड़ी उत्तेजना फैल गई है, और खिलाफत हिजरत समिति उन्हें नियंत्रित रखनेकी कोशिश कर रही है। ९ तारीखकी सुबहको हड़ताल रही। मामलेकी पूरी जाँचकी व्यवस्था कर दी गई है।

अब, पेशावर से जमरुद तो सिर्फ कुछ ही मीलके फासलेपर है। स्पष्ट है कि चन्द आनोंके लिए बिना टिकट यात्रा कर रहे मुहाजरीनोंको गाड़ीसे उतारनेकी कोशिश करना सेना के लिए मुनासिब नहीं था। लेकिन सचाई यह है कि उन्होंने ऐसी कोशिश की। इस हालतमें दलके शेष लोगोंका बीचमें पड़ना भी तय ही था। परिणामतः कुछ टंटा हुआ। एक ब्रिटिश अधिकारीपर फावड़ेसे हमला किया गया। नतीजा यह हुआ कि गोलियाँ चलीं और एक मुहाजरीन मारा गया। क्या इस सबसे ब्रिटेनकी प्रतिष्ठा बढ़ी है? आज जब कि एक धार्मिक मामलेको लेकर इतने सारे लोग देश छोड़कर बाहर भाग रहे हैं, सरकारने सीमान्त क्षेत्रोंमें काफी सूझ-बूझ-