वाले अधिकारियोंको क्यों नहीं रखा है? सैनिकोंकी इस कार्रवाईका किस्सा एकसे दूसरेको और दूसरेसे तीसरेको और इस तरह सारे भारत और सारे मुसलमान-जगत्को मालूम हो जायगा। इस दौरान लोग अनजाने ही, या शायद जानबूझकर भी, इस किस्सेमें नमक-मिर्च लगाते जायेंगे। इस तरह लोगोंकी भावना, जो वैसे ही काफी तीव्र है, और भी तीव्र हो उठेगी। विज्ञप्तिमें कहा गया है कि सरकार और भी जाँच कर रही है। हमें आशा है, जाँच पूरी तौरसे की जायेगी और इस तरहकी व्यवस्था कर दी जायेगी जिससे सैनिक लोग फिर ऐसा कोई काम, जो स्पष्टतः ही सर्वथा विवेकहीन प्रतीत होता है, न कर सकें।
और अब क्या मैं असहयोगका विरोध करनेवालों का ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित कर सकता हूँ कि जबतक वे असहयोगका कोई अच्छा विकल्प नहीं ढूँढ लेते तबतक वे या तो असहयोग आन्दोलनमें सहयोग दें या फिर एक गुप्त ढंगकी ऐसी असंगठित विप्लववादी प्रवृत्तिके लिए तैयार रहें जिसके परिणाम क्या होंगे, यह कोई नहीं कह सकता और जिसके प्रसारको रोकना या नियन्त्रित करना असम्भव ही होगा?
यंग इंडिया, २१-७-१९२०
५०. पहली अगस्तकी हड़ताल
[२१ जुलाई, १९२०]
केन्द्रीय खिलाफत समिति, बम्बईने निम्नलिखित हिदायतें जारी की हैं:
यद्यपि शान्तिकी शर्तोंमें संशोधन करानेके लिए प्रत्येक प्रयत्न किया जा रहा है। तथापि यह लगभग निश्चित ही दीख पड़ रहा है कि आगामी पहली अगस्त से पूर्व ऐसा नहीं हो सकेगा। यह समिति असहयोगके शीघ्र ही होनेवाले प्रदर्शनके पवित्र आयोजनको सुचारु रूपसे सम्पन्न करना चाहती है। वह यह भी जान लेना चाहती है कि इस सम्बन्धमें सार्वजनिक भावना कितनी गहरी है। इसलिए समिति अनुष्ठानको पूर्ण रूप से सफल बनानेके लिए हिन्दुओं तथा अन्य गैर-मुसलमान जातियोंके सहयोगकी माँग करती है।
१. यह समिति आगामी पहली अगस्तको पूर्ण हड़ताल करनेकी सलाह देती है। परन्तु मिल-कर्मचारियोंसे प्रार्थना की जाती है कि जबतक वे अपने मालिकोंसे स्वीकृति न ले लें तबतक कामसे गैरहाजिर न रहें। जिनकी आवश्यकता रोजमर्राके नितान्त आवश्यक कार्योंके लिए रहा करती है, जैसे अस्पताल-कर्मचारी, सफाई करनेवाले लोग तथा बन्दरगाहोंपर काम करनेवाले मजदूर, उनको भी काम बन्द नहीं करना चाहिए।