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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/११२

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


२. पहली अगस्तको तमाम दिन प्रार्थनामें व्यतीत करना चाहिए। जिनके लिए सम्भव हो वे उस दिन उपवास करें।

३. देशभरमें छोटे-से-छोटे गाँवमें भी सभाएँ होनी चाहिए; उन सभाओं में निम्नलिखित प्रस्ताव पास किया जाये, चाहे उसे पेश करनेके पूर्व व्याख्यान दिये जायें अथवा न दिये जायें—

प्रस्ताव

"...के निवासियोंकी यह सभा केन्द्रीय खिलाफत समिति द्वारा टर्कीके साथ हुए सुलहनामेमें मुसलमानोंकी भावनाओं और इस्लामी कानूनके अनुसार परिवर्तन करानेके लिए जो आन्दोलन चलाया जा रहा है उसके साथ अपनी पूर्ण सहानुभूति व्यक्त करती है। और इस बातको अपनी स्वीकृति प्रदान करती है कि खिलाफत समिति द्वारा अपनाया गया असहयोग आन्दोलन तबतक चलाया जाये जबतक कि उक्त सुलहनामेकी शर्तोंमें संशोधन न हो जाये। यह सभा साम्राज्य-सरकारसे साम्राज्यकी भलाईके लिए ही, जिसका प्रतिनिधित्व करना उसका कर्त्तव्य माना जाता है, विनयपूर्वक अनुरोध करती है कि वह सन्धिकी इन शर्तोंमें, जिन्हें सभीने मन्त्रियोंकी घोषणाओंके सरासर प्रतिकूल और अन्यायपूर्ण बताया है, न्यायपूर्ण संशोधन करानेके लिए प्रयत्न करे।" इस प्रस्तावको वाइसराय महोदयके पास इस प्रार्थनाके साथ भेजना चाहिए कि वे उसे सम्राट्की सरकारतक भेजनेकी कृपा करें। केन्द्रीय खिलाफत समितिके पास यह सूचना प्रेषित कर देनी चाहिए कि प्रस्ताव पास कर दिया गया है और उसे वाइसरायके पास भेज भी दिया गया है।

कानूनकी अवज्ञा नहीं करनी है

ध्यान रहे : जुलूस न निकाले जायें। भाषण संयत भाषामें दिये जायें। आशा है कि सभी जगह सभाओंमें काफी जनसमुदाय एकत्रित होगा। पुलिस तथा सरकारकी सभी हिदायतों या आज्ञाओंका सख्ती और बारीकीसे पूरा पालन किया जाये। अगर किसी स्थानमें सभा न करनेके बारेमें लिखित आदेश जारी किया जा चुका है तो वहाँ [सार्वजनिक] सभा न की जाये। इस बातका जितना अनुरोध किया जाये थोड़ा है कि आन्दोलनकी सफलता समाज द्वारा पूर्ण शान्ति बनाये रखने तथा आन्दोलनके सम्बन्धमें पुलिस द्वारा दी गई सभी हिदायतोंके माननेपर निर्भर है। यह बात साफ तौर से समझ लेनी चाहिए कि यह आन्दोलन सविनय अवज्ञाका आन्दोलन नहीं है। जनताकी स्वतन्त्रतामें बाधा पहुँचानेवाले अनुचित आदेश जारी किये जायें तब क्या किया जाये, इस बातका निर्णय समिति आदेशके गुणदोषोंका विचार करके देगी।

उपाधियाँ छोड़ दो

यह आशा की जाती है कि इस दिन समस्त उपाधिधारी व्यक्ति, अवैतनिक न्यायाधीश, पुर-शासक, विधान परिषदोंके सदस्य जो लाखों मुसलमानोंके कल्याणपर