रहे थे। इससे मेरे मनपर क्या छाप पड़ी? अपने प्रति आप लोगोंके स्नेहको तो मैंने पहचाना लेकिन प्रेमका मतलब यह नहीं कि पूराका- पूरा प्लेटफार्म भर दिया जाये और मुझे, जिसे आप लोग प्रेमकी दृष्टिसे देखते हैं, बाहर निकलने न दिया जाये। यह शिक्षा और ज्ञानकी कमीका नतीजा है। अगर स्वयंसेवक भीड़को नियन्त्रित न कर सकें और अपने अफसरोंके हुक्मोंकी पावन्दी न करें तो स्वयंसेवकोंसे लाभ ही क्या। इस प्रकारकी परिस्थितिमें काम आगे नहीं बढ़ सकता। रेलवे स्टेशनकी बात कह चुकनेपर मैं आपका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि हमारे मुसलमान भाई खिलाफतके लिए कष्ट उठा रहे हैं। ब्रिटिश संसद तथा वाइसराय अपने वायदे भूल गये हैं। संकटके इस कालमें मैं सभी हिन्दुओंसे मुसलमानोंकी सहायता करनेका अनुरोध करता हूँ। यदि ऐसा न किया गया तो हिन्दुओंको यह बात स्मरण रखनी चाहिए कि दासता न केवल सात करोड़ मुसलमानोंके दरवाजे बल्कि बाईस करोड़ हिन्दुओंके दरवाजे भी खटखटायेगी। हमने सभाएँ की हैं, व्याख्यान दिये हैं, प्रस्ताव पास किये हैं और मुसलमानोंकी भावनाओंका सम्मान किया जाये, इस बातका आग्रह और अनुरोध करनेके लिए प्रतिनिधि मण्डल बाहर भेजे हैं। लेकिन उस सबका कोई नतीजा न निकला। टर्कीको कठिनाइयाँ और मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं। खिलाफतके प्रश्नके समाधानके लिए आप लोगोंको रक्त बहाना होगा। रक्त बहानेसे आप क्या मतलब समझते हैं? इसका मतलब यह नहीं है कि आप अंग्रेजोंका——जिनके हाथमें खिलाफतके प्रश्नका निर्णय है——खून करें; नहीं, उसका मतलब इतना ही है कि आपको शान्तिपूर्वक स्वयं अपने प्राणोंकी बलि देनेके लिए तैयार रहना होगा। इस स्थितितक पहुँचनेके लिए वीरताकी आवश्यकता है। यह वीरता क्या है? यह वीरता वह शक्ति है जो आध्यात्मिक बलसे भरपूर हो। आध्यात्मिक बल क्या है? क्षत्रिय बनना। क्षत्रिय क्या है? एक सैनिक। हमें वास्वाणी या प्राध्यापक बननेकी जरूरत नहीं है बल्कि आध्यात्मिक बलसे युक्त सैनिक बननेकी जरूरत है——ऐसे सैनिक जो अपने स्थानपर डटे रहें, भागें नहीं। मैं चाहता हूँ कि आप सब ऐसे सिपाही बन जायें जिनके पास ऐसा दृढ़ आत्म-बल हो कि वे अपने स्थानसे कभी पलायन न करें। दमनका दृढ़ता लेकिन शान्तिके साथ विरोध किया जाये। दूसरोंकी हत्या करना या सरकारी इमारतोंको जला देना वीरता नहीं है। सरकारी इमारतें तो मानो आप ही की हैं। वास्तविक वीरता तो खुद अपना खून बहानेमें है। मेरे भाई शौकत अली कहते हैं कि उन्होंने सैनिक परिवारमें जन्म लिया है। उनके पिता तथा पितामह सिपाही थे तथा वे स्वयं एक सिपाही हैं। लेकिन मैं अपने सैनिकोंको उनके सैनिकोंसे मोर्चा लिवानेके लिए तैयार हूँ। एक लाख ब्रिटिश लोग ३० करोड़ भारतीयोंपर शासन करते हैं। यदि आप लोग अपनी संख्याके अनुरूप शक्ति प्रमाणित कर सकें तो आप अपनी मातृभूमिको आजाद करनेमें समर्थ होंगे। यदि हम मातृभूमिकी स्वतन्त्रता, पंजाबमें जो अत्याचार किया गया है उसका न्याय और खिलाफतके निर्णयोंपर पुनर्विचार चाहते हैं तो हममें यह वीरता और तेज आना चाहिए। यदि आपके अन्दर वीरत्वकी भावना नहीं है तो आप औरतोंसे भी ज्यादा कमजोर हैं। यदि वह आपमें है तो उसका उपयोग कीजिए
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