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५५. भाषण : खिलाफत सम्मेलन, हैदराबाद (सिन्ध) में

२३ जुलाई, १९२०

गांधीजीने २३ करोड़ हिन्दुओंसे कहा कि वे ७ करोड़ मुसलमानोंकी सहायता करें क्योंकि उनका मजहब खतरेमें है। इन दोनों जातियोंके बीच मेल रहना आवश्यक है। किसी स्थूल सहायतासे कुछ नहीं होगा; न कोई स्थूल बल हमारे काम आ सकता है। केवल आत्मबल ही हमारी सहायता कर सकता है। आप लोग सरकारके वफादार तभी रह सकते हैं जब धर्मपर आँच न आती हो। सरकारके पास अपेक्षाकृत अधिक शारीरिक बल और अधिक जोरदार तलवार है। आप लोगोंको अत्याचारी सरकारकी सहायता नहीं करनी चाहिए।

गांधीजीने असहयोगका जोरदार समर्थन किया और समझाया कि वह क्या वस्तु है। उन्होंने कहा, मैं जानता हूँ कि मुसलमान हिंसा करेंगे और तलवार उठायेंगे; लेकिन जनरल डायरने यह साबित कर दिखाया कि वे अधिक हिंसक हो सकते हैं तथा उनके पास ज्यादा भारी तलवार है। उन्होंने किसी शर्तके बिना किये गये बलिदानकी सिफारिश की और कहा कि उस समय सरकारकी तोपें और हवाई जहाज बेकार साबित होंगे। भारत मंत्रीने कहा है कि गांधीने बड़ी मूर्खताका काम किया है और उसे पिछले वर्ष जो आजादी दी जाती रही वह अब नहीं दी जायेगी। लेकिन मैं अपनेको आजाद मानता ही नहीं। पंजाबके दंगों तथा खिलाफतके मसलेके कारण मुझे तो लगता है कि मैं जेलमें ही हूँ। इससे तो मैं मुसलमानोंके लिए मरना ज्यादा पसन्द करता हूँ और यदि मुझे फाँसीपर चढ़ा दिया गया तो आप लोग मुझे मुबारकबाद दीजियेगा। हिंसाका मार्ग मत अपनाओ; बल-प्रयोग मत करो और असहयोग करो। वह पहली अगस्तको शुरू होनेवाला है। यदि असहयोग करनेका सामर्थ्य नहीं है, तो हिजरत की जाये।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स, १९२०, पृष्ठ ११२८