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गोलीके शिकार "मुहाजरीन" के बारेमें कुछ और

लिए जिम्मेदार होता है। और जबतक उस सरकारकी कार्रवाइयोंको बरदाश्त किया जा सकता है तबतक उसे समर्थन देते रहना भी उचित ही है। लेकिन जब वह सरकार किसी व्यक्ति और उसके राष्ट्रको चोट पहुँचाये तो उसका समर्थन करनेसे हाथ खींच लेना उसका कर्त्तव्य हो जाता है।

लेकिन जैसा कि मैंने कहा, हर नागरिक यह नहीं जानता कि वह व्यवस्थित ढंग से यह काम कैसे करे। इसलिए सच्ची सफलताकी पहली शर्त ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देना है जिससे किसी भी प्रकारकी हिंसा न हो पाये। अगर हम सरकारके कर्त्ताधर्त्ता लोगोंपर या हमारा साथ न देनेवाले लोगोंके प्रति, अर्थात् सरकारके समर्थकोंके प्रति, किसी प्रकारकी हिंसा करते हैं तो ऐसी प्रत्येक कार्रवाईका मतलब होगा हमारा पतन तथा असहयोगका अन्त और निर्दोष लोगोंकी प्राण-हानि। इसलिए जो लोग असहयोगको जल्दसे-जल्द सफल बनाना चाहते हों वे अपने आस-पासके क्षेत्रमें पूरी व्यवस्था बनाये रखनेकी कोशिश करना अपना पहला कर्त्तव्य मानेंगे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २८-७-१९२०

 

६५. गोलीके शिकार "मुहाजरीन" के बारेमें कुछ और

पिछले हफ्ते मैंने गोलीका शिकार होनेवाले मुहाजरीनके बारेमें कुछ लिखा था।[१]खिलाफत दलके पंजाबके दौरेके दौरान मुझे एक हस्ताक्षरयुक्त बयान दिया गया जिसमें उक्त घटनाके विवरण दिये गये हैं। इसी घटनाके बारेमें सरकारने भी एक विज्ञप्ति जारी की है। चूँकि बयानसे लगता है कि यह काफी जिम्मेदार लोगोंकी ओरसे दिया गया है और चूँकि इसमें जो-कुछ कहा गया है वह सरकारी विज्ञप्तिमें कही गई बातोंसे भिन्न है, इसलिए मैं इसे जनताके सामने प्रस्तुत करके इस ओर सरकारका भी ध्यान आकृष्ट करना अपना कर्त्तव्य मानता हूँ। मगर इस बयानमें कही गई बातें सच्ची हों तो यह उन तथाकथित सिपाहियोंके लिए बहुत लज्जाका विषय है जिन्होंने महिलाओंके सम्मानकी रक्षा का प्रयत्न करनेवाले एक व्यक्तिकी हत्या करनेमें पाशविक सुखका अनुभव किया।

मुझे मालूम हुआ है, पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्तकी सरकार इस मामलेकी अदालती जाँच करवा रही है। लेकिन जिन्हें अदालती जाँच कहा जाता है, उन जाँचोंके सम्बन्धमें भी लोगोंके मनमें इतना सन्देह भर गया है कि जबतक जाँच वास्तवमें पूरी स्वतन्त्रता और ईमानदारीसे नहीं की जायेगी तबतक उसके निष्कर्षोको कोई महत्त्व नहीं दिया जायेगा। इसलिए अगर सरकार चाहती है कि उसपर ब्रिटिश सैनिकोंके कायरतापूर्ण कृत्यपर पर्दा डालनेका आरोप न लगाया जाये तो वह प्रचारका भय किये बिना अधिक-से-अधिक विश्वसनीय व्यक्तियोंको इस मामलेकी जाँच करनेके लिए

  1. देखिए "हिजरत और उसका अर्थ", २१-७-१९२० ।