बम्बई
३१ जुलाई, १९२०
तीसरे खिलाफत दिवसके सम्बन्धमें असहयोग समितिने निम्नलिखित निर्देश जारी किये हैं: "पहली अगस्त गम्भीर जिम्मेदारी और महत्त्वपूर्ण परिणामों सहित हमारे सामने है। हमें अपने न्यायसंगत उद्देश्यके सफल होनेका पूरा विश्वास है, अलबत्ता हमें पूर्ण अनुशासित रहकर पर्याप्त मात्रामें आत्म-बलिदान करना होगा। यदि हम सरकारको मदद देना और उससे मदद लेना बन्द कर देते हैं तो हम देशमें व्यवस्था बनाये रखने में भी समर्थ होंगे अतएव हमें अधिकारियोंसे टक्कर और अचानक उत्तेजित होनेके अवसर टालते हुए समस्त सरकारी आदेशों और नोटिसोंका पालन करना चाहिए। हम आशा करते हैं कि इतवारको मुकम्मिल हड़ताल होगी। दूकान बन्द करनेसे इनकार करनेवाले किसी व्यक्तिपर कोई दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। आन्तरिक शक्ति और शुद्धिके लिए समिति प्रार्थना और उपवासको सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मानती है। यह भी आशा है कि इतवारको यथासम्भव बड़ीसे-बड़ी सभाओंका आयोजन किया जायेगा। किन्तु जुलूस नहीं निकाले जाने चाहिए। खिताबों और अवैतनिक पदोंका परित्याग करवानेका विशेष प्रयत्न होना चाहिए। माता-पिताओंसे समितिका अनुरोध है कि वे सरकारी मान्यता प्राप्त या सरकार द्वारा नियन्त्रित स्कूलोंसे अपने बच्चे उठा लें। वकीलोंसे प्रार्थना है कि वे फिलहाल अपनी वकालत बन्द कर दें।
इन कामोंका नैतिक प्रभाव पड़ेगा, इस सम्बन्धमें हमें कोई सन्देह नहीं है। हम यह भी आशा करते हैं कि इतवारसे पूर्ण स्वदेशी व्रतका पालन प्रारम्भ होगा। यह व्रत प्रत्येक स्त्री-पुरुष और बच्चेको व्यक्तिगत तौरपर अपने भीतरकी त्याग-भावना प्रकट करनेके योग्य बनाता है। इसके पालनसे हममें अपने धर्म और सम्मानके लिए त्याग करनेकी हार्दिक इच्छा बल पकड़ेगी और आगे हम और भी अधिक त्यागके लिए कटिबद्ध रहेंगे। विधान परिषदोंके पूर्ण बहिष्कारके लिए आन्दोलन बराबर जारी रखा जाना चाहिए। अन्तमें समिति मुसलमानोंसे यह आशा करती है कि वे त्यागके साथ शान्ति और अनुशासन कायम रखनेमें अग्रणी रहेंगे। हमें पूरा विश्वास है कि हमारे हिन्दू भाई भी अपना कर्त्तव्य निबाहने में चूकेंगे नहीं और मुसलमानोंका साथ देंगे।"
[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, १-८-१९२०
बॉम्बे क्रॉनिकल, ३१-७-१९२०
- ↑ यह तार गांधीजी और शौकत अलीने तृतीय खिलाफत दिवसपर भेजा था।