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पत्र : वाइसरायको

ओ'ब्रायन, श्री बॉसवर्थ स्मिथ, राय श्रीराम सूद, श्री मलिक खाँ और अन्य अफसरोंने सम्बन्धित लोगोंको दण्ड देनेके इरादेसे जो काम किये वे जरूरतसे ज्यादा सख्त थे। वे इस हदतक अमानवीयता और घोर निर्दयतासे भरे हुए थे कि उनकी कोई मिसाल नहीं मिलती।

आपने सरकारी अधिकारियोंके अपराधोंको कोई महत्त्व नहीं दिया, सर माइकेल ओ'डायरको सर्वथा दोष-मुक्त कर दिया, श्री मॉण्टेग्युने जैसा खरीता भेजा और सबसे अधिक तो इंग्लैंडकी लॉर्ड सभाने भी पंजाबकी घटनाओंके बारेमें जिस लज्जाजनक अज्ञानका प्रदर्शन किया और भारतीयोंकी भावनाओंकी जैसी निर्दयतापूर्ण अवहेलना की उसे देखकर मैं साम्राज्यके भविष्यके बारेमें बहुत चिन्तित हूँ। मैं अब वर्तमान सरकारकी ओरसे बिलकुल ही विरक्त हो गया हूँ और अब उसे पहले जैसा निष्ठापूर्ण सहयोग नहीं दे सकता। भारत सरकार अपनी प्रजाके हितोंकी ओरसे बिलकुल उदासीन साबित हुई है। मेरी नम्र रायमें ऐसी किसी भी सरकारको पश्चात्ताप करनेके लिए आवेदनों, शिष्टमण्डलों और ऐसे ही साधारण तरीके अपनाकर बाध्य नहीं किया जा सकता।

यूरोपीय देशोंमें पंजाब और खिलाफतके प्रति किये गये अपराधों-जैसे गम्भीर अपराधोंको क्षमा करनेका परिणाम जनता द्वारा हिंसापूर्ण क्रान्ति होता। वहाँकी जनता राष्ट्रको अपंग बनानेकी मंशासे किये गये इस प्रकारके अन्यायोंका हर कीमतपर मुकाबला करती। परन्तु आधा भारत तो इतना अशक्त है कि उसमें हिंसात्मक विरोध करनेकी शक्ति नहीं है और शेष आधा ऐसा करना नहीं चाहता। अतएव मैंने असहयोगका उपाय सुझाया है। इसके अनुसार जो लोग अपनेको सरकारसे अलग रखनेके इच्छुक हैं वे सहयोग से हाथ खींच सकते हैं और यदि इस असहयोगको हिंसासे दूर रखकर व्यवस्थित ढंगसे चलाया जाये तो सरकारको अपने पैर पीछे हटाने और गलतियाँ सुधारनेको अवश्य ही बाध्य होना पड़ेगा। परन्तु मैं जनताको जहाँतक अपने साथ लेकर चल सकता हूँ वहाँतक असहयोगकी नीतिका पालन करते हुए भी आपसे यही आशा रखूँगा कि आप फिर न्यायके पथपर चलने लगेंगे। अतएव मैं आपसे सादर निवेदन करता हूँ कि आप जनताके जाने-माने नेताओंका एक सम्मेलन बुलायें और उनके परार्मशसे एक ऐसा रास्ता निकालें जो मुसलमानोंको सन्तोष और दुःखी पंजाबियोंको राहत दे सके। [१]

आपका विश्वस्त सेवक,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : फौरेन : पोलिटिकल : फाइल सं॰ १०० : १९२१

  1. पत्रपर बाइसरायके राजनैतिक सचिवने निम्नलिखित टिप्पणी दी थी : मैं समझता हूँ कि वाइसर के निजी सचिव कैसरे-हिन्द पदक हमारे पास रखनेको भेज देंगे। कुछ और करनेकी आवश्यकता नहीं है। —जॉन वुड