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भाषण : बम्बईके स्वागत-समारोहमें

कपड़ा भी तैयार करने लगेंगे। यदि आप पूरे जोश और उत्साहसे स्वदेशी व्रतका पालन करते हैं तो उससे भारतका करोड़ों रुपया बचने लगेगा। निःसन्देह स्वदेशी व्रतके पालनमें कुछ त्याग करना पड़ता है परन्तु आपको यह त्याग करनेके लिए तैयार होना चाहिए। इससे संसारको मालूम हो जायेगा कि जबतक खिलाफतका सवाल सन्तोषजनक ढंगसे हल नहीं हो जाता तबतक आप सभी असुविधाएँ झेलने और कष्ट सहनेको तैयार हैं।

अन्तमें श्री गांधीने कहा कि जैसा मैंने बताया है असहयोग आन्दोलनकी सफलताके लिए जरूरी चीजें हैं——अहिंसा, खिताबों तथा अवैतनिक पदोंका त्याग और स्वदेशीका कड़ाई से पालन। यदि आप यह करें और ईश्वरसे प्रार्थना करें तो चूँकि आपका उद्देश्य न्यायपूर्ण है वह अवश्य सफल होगा।

डा॰ किचलू, श्री शौकत अली और अन्य लोगोंने प्रस्तावका समर्थन किया और प्रस्ताव पास हो गया।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २-८-१९२०

 

७६. तिलकको श्रद्धांजलि

[२ अगस्त, १९२०][१]

राष्ट्रप्रेम श्री तिलकके जीवनका आधार था और उसके रूपमें वे हमारे लिए एक ऐसी विरासत छोड़ गये हैं कि हम ज्यों-ज्यों उसका उपयोग करेंगे त्यों-त्यों वह बढ़ेगी ही। कलके जबरदस्त जुलूससे साफ पता चलता है कि उस महान् देशभक्तका जनतापर कितना प्रभाव था।

मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ३-८-१९२०

 

७७. भाषण : बम्बईके स्वागत-समारोहमें[२]

२ अगस्त, १९२०

मौलाना मुहम्मद अली और भारतीय खिलाफत प्रतिनिधि मण्डलके अन्य सदस्य सोमवारको बम्बई पहुँचे। उनके स्वागतमें मस्तानशाह टैंकमें एक सभाका आयोजन किया गया। अस्वस्थ होनेके कारण श्री छोटानी सभामें नहीं आ सके। उनकी अनुपस्थितिमें महात्मा गांधीसे सभाकी अध्यक्षता करनेको कहा गया।

  1. कलके जबरदस्त जुलूस" के संदर्भसे लगता है कि यह २ अगस्तको लिखा गया था।
  2. खिलाफत शिष्टमण्डलके सम्मानार्थ आयोजित।