आप युवराजको राजनीतिक लाभ उठानेके उद्देश्यसे राजनीतिक यात्रापर भी भेजें और जो लोग आपके हाथोंकी कठपुतली बननेको तैयार नहीं हैं वे अगर आपको मात देनेके खयालसे शाही यात्राके बहिष्कारकी घोषणा करें तो आप शिकायत करें कि उन्हें संवैधानिक दस्तूरोंका कोई ज्ञान नहीं है, क्योंकि युवराजकी इस यात्राका उद्देश्य आनन्दलाभ करना नहीं है। श्री लॉयड जॉर्जके शब्दोंमें महाविभव युवराज "ब्रिटिश राष्ट्रके दूत" के रूपमें यहाँ आनेवाले हैं। दूसरे शब्दोंमें, वे स्वयं श्री जॉर्जके इतके रूपमें उन्हें योग्यताका प्रमाणपत्र देने और सम्भवतः मन्त्रियोंको एक नया जीवन प्रदान करनेके लिए आ रहे हैं। इसके पीछे उद्देश्य उस सरकारको सुदृढ़ और सशक्त बनानेका है जो आज भारतपर जुल्म बरपा कर रही है। लेकिन इस स्थितिके बावजूद श्री मॉण्टेग्युने पहले ही ऐसा मान लिया है कि इस बार युवराजका ऐसा शानदार स्वागत किया जायेगा जैसा राज-परिवारके किसी सदस्यका पहले कभी नहीं किया गया था, जिसका मतलब यह हुआ कि पंजाबके अधिकारियोंकी बर्बरता और खिलाफत-सम्बन्धी सरकारी वादोंको साफ-साफ तोड़ देनेकी बातका लोगोंपर कोई वास्तविक और गहरा असर नहीं हुआ है और न वे इन कारणोंसे विशेष विक्षुब्ध ही हैं। भारत सरकार जानती थी कि इस समय इस देशका कलेजा लहूलुहान है, और उसे मन्त्रियोंसे कह देना था कि युवराजको भेजनेके लिए यह अवसर उपयुक्त नहीं है। मैं साहसपूर्वक कहना चाहूँगा कि युवराजको यहाँ बुलाकर एक ऐसी सरकारकी प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ानेकी कोशिश की जा रही है जो दरअसल तिरस्कारपूर्वक बरखास्त कर दी जाने लायक है, और यह काम जलेपर नमक छिड़कने के समान है। मैं दावा करता हूँ कि मेरा यह कहना मेरी राजनिष्ठा सिद्ध करता है कि भारतकी मनःस्थिति अभी ऐसी नहीं है, अभी वह इतना शोकसंतप्त है कि उसके लिए महाविभव युवराजके स्वागतमें आयोजित किसी भी समारोहमें भाग लेना कठिन है। और मन्त्रिगण और भारत सरकार इस गूढ़ राजनीतिक खेलमें युवराजको शतरंजका मोहरा बनाकर राजद्रोहका ही परिचय दे रहे हैं। अगर वे अपने दुराग्रहपर डटे ही रहते हैं तो युवराजकी इस यात्रासे कोई सम्बन्ध न रखना भारतका स्पष्ट कर्त्तव्य है।
यंग इंडिया, ४-८-१९२०