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८१. असहयोगके खिलाफ जिहाद

मैंने सर नारायण चन्दावरकर तथा अन्य लोगों द्वारा जारी किया गया वह घोषणापत्र[१]ध्यानसे पढ़ लिया है, जिसमें लोगोंको असहयोगम शामिल होनेसे मना किया गया है। मैंने तो आशा की थी कि उसमें असहयोगके खिलाफ कुछ ठोस तर्क प्रस्तुत किये गये होंगे, लेकिन यह देखकर बड़ा दुःख हुआ कि उसमें (निस्सन्देह, अनजाने ही) सिर्फ महान् धर्मों और इतिहासके तथ्योंको विकृत रूपमें प्रस्तुत किया गया है। घोषणापत्रमें कहा गया है :

हमारी मातृभूमिके समस्त धार्मिक सिद्धान्तों और परम्पराओंके अनुसार ही नहीं बल्कि मानव जातिका त्राण और उत्थान करनेवाले सभी धर्मोके अनुसार असहयोग एक निंद्य और अवांछनीय चीज है।

मैं कहूँगा कि 'भगवद्गीता' अन्धकार और प्रकाशकी शक्तियोंके बीच असहयोगके सिद्धान्तका ही प्रतिपादन है। अगर 'गीता' की शाब्दिक व्याख्या की जाये तो इसमें न्याय-पक्षका प्रतिनिधित्व करनेवाले अर्जुनको अन्याय-पक्षके पोषक कौरवोंसे सशस्त्र युद्ध करनेका उपदेश दिया गया है। तुलसीदासने सन्तोंको असन्तोंसे दूर रहनेकी सलाह दी है। 'जेन्दावेस्ता' में अहुरमज्द[२]और अहरमन[३]के बीच सतत संघर्षका चित्रण किया गया है। इन दोनोंमें कभी कोई समझौता हो ही नहीं सकता। 'बाइबिल' के विषयमें यह कहना कि उसमें असहयोगका निषेध किया गया है, ईसामसीहके प्रति अपने अज्ञानका परिचय देना है। वास्तवमें वे अनाक्रामक प्रतिरोधियोंके सरताज थे, जिन्होंने सदूसी[४]और फैरिसी[५]लोगोंकी ताकतको खुली चुनौती दी और सत्यके लिए पुत्रको पितासे अलग करनेमें तनिक भी हिचकिचाट नहीं दिखाई। और इस्लामके रसूलने क्या किया? जबतक उनकी जानपर खतरा नहीं आ पड़ा तबतक वे मक्कामें बहुत ही सक्रिय ढंगसे असहयोग करते रहे; और जब उन्होंने देखा कि सम्भव है उन्हें और उनके अनुयायियोंको व्यर्थ ही अपने प्राण देने पड़ें तो वे भागकर मदीना चले गये और अपने विरोधियोंसे लोहा ले सकनेकी स्थितिमें आते ही फिर वापस लौट आये। सभी धर्मोमें अन्यायी व्यक्तियों और अन्यायी राजाओंके विरुद्ध असहयोग करनेके कर्त्तव्यका उतनी ही दृढ़तासे विधान किया गया है जितनी दृढ़तासे न्यायप्रिय

  1. इसपर हस्ताक्षर करनेवालोंमें अन्य लोगों के साथ-साथ सर नारायण चन्दावरकर, गोकुलदास के॰ पारेख, फीरोज सेठना, सी॰ वी॰ मेहता, जमनादास द्वारकादास, के॰ नटराजन्, एच॰ पी॰ मोदी, उत्तमलाल के॰ त्रिवेदी, बी॰ सी॰ दलवी, मावजी गोविन्दजी, एन॰ एम॰ जोशी तथा का॰ द्वारकादास भी शामिल थे। यह ३०-७-१९२० के बॉम्बे क्रॉनिकलमें प्रकाशित किया गया था।
  2. प्रकाश और नेकीकी शक्ति।
  3. अन्धकार और बुराईकी शक्ति।
  4. यहूदी जातियाँ।