८४. पत्र : मोहनलालको
आश्रम
साबरमती
७ अगस्त, १९२०
छल-कपटको मैं कहीं भी उचित नहीं मानता। दिनोंदिन भ्रष्टाचार बढ़े या घटे इस बातका अस्पृश्यता-निवारणसे कोई सम्बन्ध नहीं। धर्म तो अस्पृश्यता-निवारणमें है। मैं समझता हूँ कि वढवानकी राष्ट्रीय पाठशाला छोटे बच्चोंकी शिक्षाका काम सँभाल सकती है। मध्यम वर्गकी बेरोजगारी समाप्त करनेका एकमात्र उपाय उन्हें ऐसे धन्धे सिखाना है जो शारीरिक श्रमकी अपेक्षा रखते हैं। श्री अरविन्द बाबूकी मुझे विशेष जानकारी नहीं है।
गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ २३४) की फोटो-नकलसे।
८५. तार : अब्दुल जब्बारको
अहमदाबाद,
[८ अगस्त, १९२० के पूर्व][१]
हैदराबाद (सिंध)
शौकत अली और मैं हैदराबाद जा रहे थे। यहाँ रास्तेमें कार्यक्रम रद्द करनेका तार मिला। धन्यवाद। अब बम्बई लौट रहे हैं। मद्रास जानेका विचार है। स्थितिकी सूचना तारसे बम्बई दें। हम मद्रास जायें या नहीं। आशा है पीर साहब खाना खाने लगे हैं।
बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स, १९२०, पृष्ठ ११८५
- ↑ तार इसी तारीखको खुफिया विभाग द्वारा रोका गया था।