९०. पत्र : हरमान कैलेनबैकको[१]
१० अगस्त, १९२०
कितने लम्बे अर्से बाद तुम्हें यह पत्र लिखनेका सौभाग्य मिला है। बड़ी तलाश करनेपर अब कहीं तुम्हारा पता मिल पाया है। लेकिन एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा है जब तुम्हारा खयाल न आया हो। तुम्हारा हाल सबसे पहले मुझे जोहानिसबर्गकी एक महिलाने बताया। कुमारी विंटरबॉटम[३] और पोलक[४] तो कुछ भी नहीं बता पाये। पी॰ के॰ नायडू[५] भी कुछ नहीं बता सके। डा॰ मेहताने [६] तार भेजकर मुझे तुम्हारा पता बताया। जमनादासका[७] भी एक पत्र मिला है उससे मैंने कह दिया है कि अगर हो सके तो बलिनमें तुमसे मुलाकात कर ले। जमनादास लिखता है कि या तो वह खुद या डा॰ मेहता तुमसे मिलनेकी कोशिश करेंगे। कितना अच्छा होता अगर मैं वहाँ आकर तुम्हें गले लगा सकता! मेरे लिए तो तुम्हारा पुनर्जन्म ही हुआ है। मैंने यह मान लिया था कि अब तुम इस दुनियामें नहीं रहे। मैं तो यह विश्वास ही नहीं कर पाता था कि दुनियामें रहते हुए भी तुम मुझे इतने दिनोंतक कोई पत्र नहीं लिखोगे। एक दूसरी सम्भावना यह थी कि तुम पत्र तो लिखते होगे लेकिन वे मुझे मिल नहीं पाते होंगे। मैंने कैम्पके पतेसे पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मैं अब भी यही मानता हूँ कि तुमने पत्र लिखा अवश्य होगा लेकिन मुझे मिल नहीं पाया। मैं डा॰ मेहताको तुमसे मिलनेके लिए तार दे रहा हूँ। और मैं अपने बारेमें क्या लिखूँ? फिलहाल तो कुछ नहीं लिखूँगा। देवदास मेरे साथ है, वह हर दिशामें निरन्तर प्रगति कर रहा है। अभी मैं देवदास और एक दूसरे विश्वस्त साथीके[८] साथ यात्रा कर रहा हूँ। उसे देखोगे
- ↑ एक जर्मन वास्तुकार; दक्षिण आफ्रिकामें गांधीजीके सहयोगी और मित्र।
- ↑ गांधीजी विनोदमें हरमान कैलनबैकको 'लोअर हाउस' और अपनेको 'अपर हाउस' कहते थे।
- ↑ फ्लोरेंस विंटरबॉटम, नैतिकता समिति-संघ (यूनियन ऑफ एथिकल सोसाइटीज), लन्दन की मन्त्री।
- ↑ हेनरी सॉलोमन लिऑन पोलक, गांधीजीके मित्र और सहयोगी; इंडियन ओपिनियन के सम्पादक; देखिए खण्ड ८, पृष्ठ ४७।
- ↑ पी॰ के॰ नायडू, ब्रिटिश भारतीय संघ, ट्रान्सवालके मन्त्री।
- ↑ डा॰ प्राणजीवन मेहता, बैरिस्टर और जौहरी; उनका गांधीजीसे सम्बन्ध तभी प्रारम्भ हुआ जब इंग्लैंडमें विद्यार्थीके रूपमें गांधीजी उनसे मिले थे। फीनिक्स आश्रमकी स्थापना हुई, तबसे लेकर १९३३ में अपनी मृत्युतक वे गांधीजीको आर्थिक सहायता देते रहे।
- ↑ गांधीजीके चचेरे भाई श्री खुशालचन्द गांधीके पुत्र। छगनलाल और मगनलालके भाई।
- ↑ श्रीमती सरलादेवी चौधरानी।