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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तो उसपर मुग्ध हो जाओगे। बात यह है कि इस महिलासे मेरा बहुत घनिष्ठ सम्पर्क हो गया है। वह अक्सर यात्रामें मेरे साथ रहा करती है। उसके साथ मेरे सम्बन्धोंको किसी परिभाषामें नहीं बाँधा जा सकता। मैं उसे अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहता हूँ। एक मित्रने हमारे सम्बन्धोंको बौद्धिक विवाह कहा है। मैं चाहता हूँ तुम उससे मिलो। मैं अपने लाहौर और पंजाबके निवास-कालमें कई महीने उसीके घर ठहरा था। श्रीमती गांधी आश्रममें हैं। वे वृद्ध तो काफी हो गई हैं, लेकिन बहादुर पहलेकी ही तरह हैं। तुमने उनके गुणदोष-सहित उन्हें जिस रूपमें देखा था, अब भी वे वैसी ही हैं। मणिलाल और रामदास फीनिक्समें ही हैं। वे 'इंडियन ओपिनियन' का काम देखते हैं। हरिलाल कलकत्तेमें अपना धन्धा करता है।

उसकी पत्नीका देहान्त हो गया है। उसके बच्चोंकी देखभाल श्रीमती गांधी करती हैं। छगनलाल और मगनलाल मेरे साथ हैं। मेढ[१]और प्रागजी[२] भारतमें ही हैं। प्रागजीसे सम्पर्क बना रहता है, लेकिन मेढसे उतना नहीं। मगनभाई[३] मेरे साथ नहीं हैं। तो इस तरह तुम इस परिवारके जितने लोगोंको जानते हो, उनमें से अधिकांशका थोड़ा-बहुत समाचार तुम्हें मालूम हो गया। और हाँ, इमाम साहबको[४] तो मैं भूल ही गया था। वे और उनकी पत्नी मेरे साथ हैं। उनकी निष्ठा तो अद्भुत है। अभी पिछले ही दिनों मैंने फातिमाकी[५] शादी करके उसे विदा कर दिया। इससे वे काफी निश्चिन्त हो गये हैं। एन्ड्रयूजसे अक्सर मुलाकात हो जाती है। वे बंगालमें रहते हैं। आनन्दलाल[६] भी मेरे ही साथ है। मैं दो साप्ताहिकोंका सम्पादन कर रहा हूँ। दोनों अच्छे चल रहे हैं। अभी तो मैंने सरकारसे बहुत जबरदस्त लड़ाई ठान रखी है। परिणाम क्या होगा, कोई नहीं कह सकता।

और अब में पत्र समाप्त करूँगा। दो साल पूर्व एक बार मैं मौतके पंजे में आ गया था। अगर तुम्हें फुरसत हो तो चाहूँगा कि पत्र-व्यवहार फिरसे शुरू कर दो। मैं अब और भी सादा जीवन व्यतीत कर रहा हूँ। अब मैं फल और मेवोंपर नहीं रहता। सिर्फ बकरीका दूध, रोटी और दाख लेता हूँ। मैंने पाँच चीजोंसे अधिक न खानेका व्रत ले रखा है। लन्दनमें लिये गये व्रतके कारण मैं गायका दूध नहीं लेता। नमक न लेने का व्रत छोड़ दिया है, क्योंकि देखता हूँ, पानीके साथ और समुद्री हवामें हम अजैव (इनआर्गेनिक) नमक लेते ही हैं।

  1. श्री सुरेन्द्रराय मेढ, दक्षिण आफ्रिकी सत्याग्रहके प्रमुख कार्यकर्त्ता।
  2. प्रागजी खण्डूभाई देसाई, दक्षिण आफ्रिकी संघर्षमें भाग लेनेवाले एक सत्याग्रही। वे इंडियन ओपिनियनके गुजराती स्तम्भोंमें अक्सर लिखा करते थे।
  3. मगनभाई पटेल, फोनिक्स आश्रमके एक शिक्षक।
  4. इमाम साहब अब्दुल कादिर बावजीर, हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके अध्यक्ष; दक्षिण आफ्रिकामें सत्याग्रहोंके रूपमें १९१० में जेल गये; सन् १९३० के नमक सत्याग्रह में महादेव देसाईके गिरफ्तार हो जानेपर उनका काम सँभाला।
  5. इमाम साहबकी पुत्री।
  6. गांधीजीके चचेरे भाई अमृतलालके पुत्र।