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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कांग्रेस सारे राष्ट्रकी इच्छाओं और आशाओंकी प्रतिनिधि है। अगर बात सिर्फ मेरी, यानी निजी रूपसे गांधीकी, होती तो मैं अनन्त कालतक प्रतीक्षा कर सकता था। लेकिन मेरे हाथमें एक पवित्र दायित्व था। अपने मुसलमान देशभाइयोंको मैं ही सलाह दे रहा था, और कुछ समयके लिए उनका सम्मान मेरे हाथोंमें है। मैं उनसे स्वयं उनकी अन्तरात्माके निर्णयके अलावा और किसीके निर्णयकी प्रतीक्षा करनेके लिए कहने की हिम्मत नहीं कर सकता। क्या आप समझते हैं कि मुसलमान अपनी प्रतिज्ञा वापस ले सकते हैं, या उन्होंने जो सम्मानपूर्ण स्थिति अपनाई है उससे पीछे हट सकते हैं? अगर संयोगवश——और ईश्वर न करे ऐसा संयोग आये——विशेष कांग्रेसका निर्णय मुसलमानोंके विरुद्ध होता है तो भी मैं अपने देशभाइयोंको, मुसलमानोंको यही सलाह दूँगा कि वे अकेले हों तब भी, उनके धर्मका जो अपमान करनेकी कोशिश की जा रही है, उसे बरदाश्त करनेके बजाय डटकर जूझते रहें। इसलिए अब यह बात मुसलमानोंपर निर्भर करती है कि वे चाहें तो कांग्रेसके सामने जायें और घुटने टेककर उससे सहायताकी माँग करें। लेकिन यह सहायता उन्हें प्राप्त हो या न हो, उस समय उनके लिए यह सम्भव नहीं था कि वे कांग्रेसके नेतृत्वकी राह देखते बैठे रहते। उन्हें व्यर्थकी हिंसा, अर्थात् अपनी तलवार खींचकर भिड़ जानेकी उद्धतता और शान्तिपूर्ण अहिंसक किन्तु प्रभावकारी असहयोगके बीच चुनाव करना था और उन्होंने अपना चुनाव कर लिया है। मैं आपसे यह भी कहूँगा कि लोगोंका कोई ऐसा समूह हो जो मेरी ही तरह असहयोगके पावन स्वरूपका अनुभव करता हो तो मुझे और आप सबको कांग्रेसके लिए प्रतीक्षा न करके उसके अनुसार काम शुरू कर देना चाहिए और इस तरह कांग्रेसके लिए कोई विपरीत निर्णय देना असम्भव बना देना चाहिए। आखिरकार कांग्रेस है क्या चीज? कांग्रेसकी रचना करनेवाले अलग-अलग व्यक्तियोंके सम्मिलित स्वरका नाम ही तो कांग्रेस है, और ये व्यक्ति अगर किसी विषयपर एकमत होकर कांग्रेसके सामने जायें तो वह वही निर्णय देगी जो ये चाहते हैं। लेकिन अगर हम कांग्रेसके सामने अपना कोई निश्चित मत लेकर जायें ही नहीं——चाहे उसका कारण यह हो कि हमारा कोई मत ही नहीं है, या यह कि मत तो है लेकिन उसे प्रकट करनेमें हम भय खाते हैं——तब तो स्वभावतः हमें कांग्रेसके निर्णयकी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। जिन लोगोंमें किसी निश्चयपर पहुँचनेकी क्षमता नहीं है उनसे मैं कहूँगा कि वे बेशक प्रतीक्षा करें। लेकिन जिन लोगोंको सब कुछ दिनके प्रकाशके समान स्पष्ट दिखाई दे रहा हो, उनका कांग्रेसके निर्णयकी प्रतीक्षा करना अपराध है। कांग्रेस आपसे प्रतीक्षा करनेकी नहीं बल्कि काम करनेकी अपेक्षा करती है ताकि उस कामके आधारपर वह राष्ट्रीय भावनाकी गहराई माप सके। कांग्रेसके सम्बन्धमें मुझे इतना ही कहना था।

कौंसिलोंका बहिष्कार

असहयोग कार्यक्रममें कौंसिलोंके बहिष्कारको मैंने सबसे प्रमुख स्थान दिया है। कुछ मित्रोंने 'बहिष्कार' शब्दके प्रयोगपर आपत्ति की है, क्योंकि मैंने ब्रिटिश माल