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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नहीं डाला जाना चाहिए। यदि आप अपने साथी मजदूरोंपर ऐसा कोई दबाव डालेंगे तो उसकी प्रतिक्रिया अवश्य होगी। मैं समझता हूँ कि आपके सलाहकार आपको बतायेंगे कि यदि ये तीन बातें पूरी तरह मानी जायें तो कोई हड़ताल कभी असफल नहीं हो सकती। इससे आपके सामने यह बात सहज ही स्पष्ट हो जाती है कि हड़ताल शुरू करनेसे पहले सौ बार सोचनेकी जरूरत है। आपके अधिकारों और उनपर अमलके बारेमें मुझे आपसे इतना ही कहना था।

परन्तु जैसे-जैसे मजदूर संगठित होते जायेंगे, हड़तालें करनेकी आवश्यकता भी घटती चली जायेगी। और मानसिक रूपसे विकसित होनेके बाद आप यह भी आसानीसे समझ लेंगे कि हड़ताल करनेके सिद्धान्तके बजाय पंच-फैसलेके सिद्धान्तका प्रतिष्ठित हो जाना ज्यादा अच्छा है। इस अवस्था तक पहुँचना आवश्यक हो गया है। मैं इस मुद्देको स्पष्ट करनेमें आपका और अधिक समय नहीं लेना चाहता।

अब मैं आपके राष्ट्रीय उत्तरदायित्वोंके सम्बन्धमें आपसे कुछ कहना चाहूँगा। जिस प्रकार आपको अपने मालिकोंसे सम्बन्धित उत्तरदायित्व समझने हैं उसी प्रकार यह भी जरूरी है कि आप अपने राष्ट्रके प्रति अपना उत्तरदायित्व समझें। आपकी प्राथमिक शिक्षा तभी पूरी होगी। यदि आप श्रमकी प्रतिष्ठाको अच्छी तरह समझ लें, तो आप महसूस करेंगे कि आपको अपने देशके प्रति भी एक कर्त्तव्य निभाना है। इसलिए अपने देशके मामलोंको जितने अच्छे ढंगसे आप समझ सकें, समझना चाहिए। ढेर सारी किताबोंमें अपना सिर खपाये बिना आपको यह सब समझ लेना है कि आपके शासक कौन हैं, उनके प्रति आपका क्या कर्त्तव्य है तथा आपके लिए उन्हें और उनके लिये आपको क्या करना चाहिए। मैं मौजूदा हालातोंका बयान नहीं करना चाहता। यहाँ मैं आपके सामने लम्बा भाषण देने नहीं आया हूँ। जो उलझे हुए प्रश्न देशको आन्दोलित कर रहे हैं यहाँ उनमें आपकी दिलचस्पी पैदा करना मेरे लिए सम्भव नहीं है। आपको मेरा इतना बता देना काफी है कि इस महान् देशके नागरिककी हैसियतसे आपका प्रथम कर्त्तव्य अपने अधिकार और उत्तरदायित्व समझ लेता है। जबतक आप इन चीजोंको समझनेका प्रयास नहीं करते, मेरी नम्र रायमें आप पूरी तरह अपने धर्मका पालन नहीं कर सकते। यदि मैंने आपके मनमें अपने देशके मामलोंकी जानकारी प्राप्त करनेकी इच्छा जगा दी तो आजका मेरा काम खत्म हो गया। मुझे आशा है कि आप जबतक अपने सलाहकारों और नेताओंकी सहायतासे देशसे सम्बन्धित मुख्य-मुख्य बातोंको नहीं समझ लेते तबतक आप चैनसे नहीं बैठेंगे। मैं यहाँके मजदूर संगठनकर्त्ताओं को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मुझे आमन्त्रित किया। आप सबने आकर मेरी बात शान्तिसे सुनी इसके लिए भी मैं आप सबको धन्यवाद देता हूँ। मैं आपको अपनी ओरसे आश्वासन देना चाहता हूँ कि जब कभी आपको मेरी सलाहकी जरूरत जान पड़ेगी, मैं उसके लिए प्रस्तुत रहूँगा। इसलिए मुझे इस बातका दुःख है कि एक बार आपने मुझे मद्रास बुलाया और मैं कार्य-व्यस्त होनेके कारण आपका निमन्त्रण स्वीकार न कर सका। परन्तु आप मेरी इतनी बात सही मानिए कि न आनेका कारण इच्छाका अभाव नहीं, असमर्थता थी। आपके योग्य