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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/२११

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भाषण : नागौरमें

योग दे रहे हैं क्योंकि उनका खयाल है कि भारतमें इतनी शक्ति नहीं कि वह सशस्त्र प्रतिरोध कर सके; लेकिन मेरा तो निश्चित मत है कि इस प्रस्तावित असहयोगके ढंगका अहिंसक प्रतिरोध करनेके लिए कहीं ज्यादा ताकत जरूरी होती है। इसके बाद श्री शौकत अलीने अपने भाषणमें जोर देकर कहा कि खिलाफतकी अखण्डताको बनाये रखना मुसलमानोंका धार्मिक कर्त्तव्य है। कुरानके आदेश हर सच्चे मुसलमानके लिए अनुल्लंघनीय हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि हिन्दू इस संघर्षमें मदद दें या न दें, मुसलमानोंको हर हालतमें संघर्ष जारी रखना चाहिए। उन्होंने हिन्दुओंसे भी अपना समर्थन देनेकी अपील की और मुसलमानोंको बताया कि उनका गांधीजीको अपने नेताके रूपमें चुनना ही हिन्दू-मुस्लिम एकताकी सबसे बड़ी जीत है। अगर इस्लामके सम्मानकी रक्षाके लिए लोगोंसे युद्ध करके उन्हें मार डालना मुसलमानोंके लिए धर्म है तो खुद अपनी जान देना और आगे बढ़कर तकलीफें झेलना भी उनका ही धर्म है।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १८-८-१९२०
 

१०१. भाषण : नागौरमें

१६ अगस्त, १९२०

नागौरमें हुई सार्वजनिक सभाकी खासियत यह थी कि उसमें मुसलमान महिलाएँ बहुत भारी संख्यामें एकत्र हुई थीं। श्री शौकत अलीने कहा : आपकी उपस्थितिसे मेरा बहुत साहस बँधा है और उम्मीद रखता हूँ कि आप कमजोर दिल लोगोंमें अपने मजहबके लिए हिम्मत और कुर्बानीका जज्बा पैदा करेंगी। क्योंकि यह आपकी अपनी खूबी है।

श्री गांधीने कहा : मुसलमान महिलाएँ जितनी भारी संख्यामें उपस्थित हुई हैं उससे पता चलता है कि खिलाफतके सवालपर मुसलमानोंकी भावनाएँ कितनी तीव्र हो उठी हैं और इससे प्रकट होता है कि इस आन्दोलनने उनके हृदयको कितनी गहराईसे स्पर्श किया है। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकताके महत्त्वपर जोर दिया और कहा कि यह चीज ब्रिटेनके साथ हमारे सम्बन्धोंसे भी बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १८-८-१९२०