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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हों, आपका संकल्प एक हो और आपमें देशके प्रति प्रेम हो, देशके सम्मान और धर्मके प्रति प्रेम हो। (देरतक हर्षध्वनि)

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १९-८-१९२०

 

१०३. कुछ और आपत्तियोंके उत्तर

'स्वदेशमित्रन्' मद्रासके बहुत ही प्रभावशाली तमिल दैनिकोंमें से है। इसकी पाठक-संख्या बहुत बड़ी है। इसके स्तम्भोंमें प्रकाशित एक-एक चीज ध्यान देने लायक होती है। इसके सम्पादकने असहयोगके मार्गमें कुछ व्यावहारिक बाधाओंकी चर्चा की है। इसलिए मुझसे जहाँतक बन सकता है, मैं उनपर पूरी तरह विचार करूँगा।

मुझे नहीं मालूम, इस अखबारको यह खबर कहाँसे मिली है कि मैंने असहयोगके अन्तिम दो चरणोंपर अमल करनेका इरादा छोड़ दिया है। मैंने जो कहा है वह यही कि अभी वे बहुत दूर हैं, और ऐसा मैं अब भी कहता हूँ। मैं स्वीकार करता हूँ कि सभी चरणोंमें कुछ-न-कुछ खतरेकी आशंका है ही, लेकिन अन्तिम दो चरणोंमें खतरेकी अधिक आशंका है और उनमें भी दूसरेमें अधिक। आन्दोलनको कई चरणोंमें इसलिए बाँटा गया है कि उसके कार्यान्वयनमें कमसे-कम खतरा रहे। अन्तिम दो चरण तबतक प्रारम्भ नहीं किये जायेंगे जबतक समिति जनतापर इतना नियन्त्रण प्राप्त नहीं कर लेती कि उसे विश्वास हो जाये कि सैनिकों द्वारा नौकरी छोड़ देने या जनता द्वारा कर देना बन्द कर देनेसे, मानवीय बुद्धि जहाँतक अनुमान लगा सकती है वहाँतक तो जनताके बीच हिंसाका कोई विस्फोट नहीं होगा। मेरी यह निश्चित मान्यता है कि लोग इन दोनों चरणोंको कार्यान्वित करनेके लिए आवश्यक अनुशासनमें रह सकते हैं। जब एक बार वे समझ लेंगे कि एक अनिच्छुक सरकारको अपनी इच्छाके सामने झुकानेके लिए हिंसा बिलकुल अनावश्यक है और इस लक्ष्यकी सिद्धि गौरवमय असहयोगके माध्यमसे ही की जा सकती है तो वे प्रतिशोधके तौरपर भी हिंसाका सहारा लेनेका खयाल अपने मनमें नहीं रखेंगे। तथ्य यह है कि हमने अबतक जनतासे संगठित और अनुशासित ढंगका काम लेनेकी कोशिश नहीं की है। अगर हम सचमुच एक स्वशासित राष्ट्रकी स्थिति प्राप्त करना चाहते हैं तो किसी-न-किसी दिन यह कोशिश करनी ही पड़ेगी। मेरे विचारसे यह घड़ी उसके लिए बहुत उपयुक्त है। हर भारतीय पंजाबके अपमानको अपना अपमान समझता है, हर मुसलमान खिलाफतके सम्बन्धमें किये गये अन्यायपर क्षुब्ध है। इसलिए वातावरण ऐसा है, जिसमें लोगोंसे संगठित और संयत आन्दोलनकी आशा की जा सकती है।

जहाँतक जनता द्वारा हमारे अनुरोधका उत्तर देनेका सम्बन्ध हैं, मैं सम्पादक महोदयकी इस बात से सहमत हूँ कि कर देना बन्द करनेके अनुरोधका उत्तर लोग जल्दी-से-जल्दी और अधिकसे-अधिक संख्यामें देंगे, लेकिन जैसा कि मैंने कहा है, जबतक