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भाषण : कालीकटमें

लेकिन एक बहुत ही सहज और स्वाभाविक निराकरण मानता हूँ। इसके अतिरिक्त अनावृष्टिके समय यह किसानोंके लिए एक प्रकारका सहज बीमा भी है।

लेकिन इस उद्योगके पुनरुद्धारके लिए, जो आज इतना आवश्यक है, दो बातें बहुत जरूरी हैं। एक तो यह कि लोगोंमें खद्दरके प्रति रुचि पैदा की जाये; और दूसरे यह कि एक ऐसा संगठन कायम किया जाये जो धुनी हुई रुईका लोगोंके बीच वितरण करे और फिर उन्हें मेहनताना देकर उनसे सूत प्राप्त करे।

एक ही वर्षमें थोड़ेसे लोगोंके मूक परिश्रमकी बदौलत गुजरातकी गरीब औरतोंके बीच कताईके एवजमें हजारों रुपये बाँटे गये हैं और इन औरतोंने प्रतिदिन थोड़ेसे पैसे कमानेमें भी आनन्दका अनुभव किया है क्योंकि इससे वे अपने बच्चोंके लिए दूध आदि खरीद सकती हैं।

'लीडर' ने यह दलील चीनी-उद्योगपर भी लागू करनेकी कोशिश की है लेकिन वह उसपर लागू नहीं होती। भारतकी माँग पूरी करने लायक ईख यहाँ पैदा नहीं की जाती। चीनी-उद्योग कभी भी हमारा राष्ट्रीय और पूरक उद्योग नहीं था। विदेशी चीनीके कारण देशी चीनीका उत्पादन समाप्त नहीं हो गया है। भारतमें चीनीकी माँग बढ़ती गई और इसलिए वह चीनीका आयात करता है। लेकिन चीनीके आयातके कारण भारतका धन उस अर्थमें विदेशोंकी ओर नहीं बहता जिस अर्थमें विदेशी वस्त्रके आयातके कारण बहता है। अधिक चीनीका उत्पादन करनेके लिए वैज्ञानिक ढंगकी खेती और ईख पेरने और शोधनेके लिए ज्यादा और अधिक अच्छी मशीनोंकी जरूरत है। इसलिए चीनी-उद्योगकी स्थिति दूसरी है। जहाँतक चीनीका सम्बन्ध है, स्वदेशी वांछनीय है, लेकिन कपड़ेके सम्बन्धमें तो वह एक तात्कालिक आवश्यकता है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १८-८-१९२०

 

१०५. भाषण : कालीकटमें

१८ अगस्त, १९२०

अध्यक्ष महोदय और मित्रो,

आप लोगोंने हमारा जो हार्दिक स्वागत किया है, उसके लिए मैं अपने भाई शौकत अली और अपनी ओरसे आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ। यहाँ आनेका अपना उद्देश्य बतानेसे पहले मैं आपको यह सूचना देना चाहता हूँ कि पीर महबूब शाहको, जिनपर विद्रोहके लिए सिन्धमें मुकदमा चल रहा था, दो सालकी साधारण कैदकी सजा दी गई है। पीर साहबपर क्या आरोप लगाया गया था यह मैं ठीक-ठीक नहीं जानता। मैं नहीं जानता कि जो शब्द उनके कहे हुए बताये जाते हैं वे वास्तवमें उन्होंने कभी कहे थे या नहीं। परन्तु मैं यह जरूर जानता हूँ कि पीर साहबने बचावमें कोई भी सबूत देनेसे इनकार कर दिया और दी गई सजाको बिलकुल उदासीन