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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/२२७

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भाषण : मंगलौरमें

मानते हैं कि यह कदम गलत होगा या इसके सफल होनेकी सम्भावना नहीं है। इसका कारण यह विश्वास है कि सारा देश इसमें शामिल नहीं होगा और नरम दलवाले कौंसिलोंमें घुस जायेंगे। मैं मंगलौरके नागरिकोंसे इस भयको अपने मनसे दूर कर देनेको कहता हूँ। अगर मंगलौरके मतदाता एकमत हों तो वे नरमदलीय, गरमदलीय या किसी भी अन्य विचारके नेताओंके लिए, अपने प्रतिनिधिके रूपमें, कौंसिलोंमें प्रवेश करना असम्भव बना सकते हैं। इस कदममें न पैसा गँवानेकी बात है, न सम्मान खोनेकी, लेकिन इससे सारे राष्ट्रको प्रतिष्ठा अवश्य मिलेगी। और मैं आपसे कहूँगा कि अगर उग्रवादी लोग भी किसी सीमातक एकमत होकर यह कदम उठायें तो इसका वांछित परिणाम हो सकता है। लेकिन अगर इसमें सभी शामिल नहीं होते तो भी लोगोंको व्यक्तिशः इसमें शामिल होनेसे डरना नहीं चाहिए। अगर एक व्यक्ति भी इसमें शामिल होता है तो वह कमसे-कम सच्ची प्रगतिकी नींव तो डाल देगा और फिर उसे यह सन्तोष तो मिलेगा ही कि कमसे-कम वह अपने तईं सरकारके अपराधोंमें हिस्सा नहीं बँटा रहा है।

अब मैं उस धन्धेमें लगे लोगोंकी बात लेता हूँ जो धन्धा किसी समय मैं भी करता था। मैंने भारतके वकीलोंसे अपना धन्धा छोड़कर उस सरकारको समर्थन देना बन्द कर देनेको कहा है जो अब राष्ट्रको विशुद्ध और सच्चा न्याय देनेवाली सरकार नहीं रह गई है। और जो वकील यह कदम उठायेगा, उसके लिए यह व्यक्तिगत रूपसे अच्छा है और अगर सभी वकील यह कदम उठाते हैं तो यह सारे राष्ट्रके लिए शुभ है।

और इसी तरह सरकारी और सरकारी अनुदान-प्राप्त स्कूलोंके सम्बन्धमें मैं कहूँगा कि मेरी अन्तरात्माको यह बात गवारा नहीं कि जब हम सरकारको सभी प्रकारका समर्थन देना बन्द कर देने और उससे किसी भी प्रकारकी सहायता न प्राप्त करनेके खयालसे असहयोगके कार्यक्रमको लेकर चल रहे हों तो हमारे बच्चे पढ़नेके लिए सरकारी स्कूलोंमें जायें।

असहयोगके दूसरे मुद्दे भी बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन मैं अब उनके सम्बन्धमें बहुत-कुछ कहकर आपके धीरजकी परीक्षा नहीं लेना चाहूँगा। मगर मैंने आपके सामने चार बहुत ही महत्त्वपूर्ण और जोरदार कदम उठानेका सुझाव रखा है। इनमें से कोई भी कदम ठीकसे उठाया जाये तो उसके सफल होनेकी पूरी सम्भावना है। स्वदेशीका प्रचार असहयोगके एक मुद्देके रूपमें, बलिदानकी भावनाकी अभिव्यक्तिके रूपमें किया गया है, और यह एक ऐसा मुद्दा है जिसपर हर पुरुष, हर स्त्री और हर बच्चा आचरण कर सकता है।

[अंग्रेजीसे]
फ्रीडम्स बैटल, पृष्ठ २४५-५३