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मद्रास-यात्रा

मान सदैव सहोदरके समान रहें। वे मुसलमानोंसे निजी तौरपर और सार्वजनिक रूपसे यही कहते हैं कि वे हिन्दुओंका मन हरनेके लिए जितनी कुर्बानी दे सकें, दें। यदि कोई हिन्दू मुसलमानकी भावनाओंको ठेस पहुँचाये तो भी उसे अदालतमें नहीं जाना चाहिए और पंचकी मार्फत अपना झगड़ा तय करना चाहिए।

हमारा मतभेद

हमारे बीच एक मतभेद है और उसे हम आरम्भसे ही जानते हैं; उसे जानते हुए भी हम सगे भाइयोंके समान एक साथ रह सकते हैं। उसका कारण यह है कि हम दोनों एक दूसरेके प्रति तथा अपने आदर्शके प्रति पूर्णतया वफादार हैं। उनकी मान्यता है कि शत्रुकी हत्या की जा सकती है और उसके लिए भेदसे भी काम लिया जा सकता है। मेरी धारणा है कि शत्रुको मारना, मनुष्य-स्वभावके पतनका परि- चायक है, उसकी हीनताका सूचक है और किसी भी अवसरपर भेदसे काम लेनेसे सच्चे लाभकी प्राप्ति नहीं होती। भेदसे काम लेनेवालेकी आत्माका हनन होता है। तथापि हम साथ आ मिले हैं क्योंकि वे समझ गये हैं कि प्रजाके पास शस्त्रबल है नहीं, उसमें एकता, दृढ़ता, शौर्य, आत्मत्याग आदि गुणोंका अभाव है और जबतक उसमें ये गुण नहीं हैं तबतक वह तलवार उठा ही नहीं सकती। उनका कहना है कि उनकी मोटरके लिए अच्छी सड़ककी जरूरत होती है; किन्तु मेरा छकड़ा तो हर परिस्थिति में चल सकता है। इसलिए फिलहाल उन्होंने मेरे रास्तेको ही पसन्द किया है। दोनों रास्तोंको अपनाते समय एक निश्चित प्रकारकी सामग्रीकी आवश्यकता होती है, इस कारण मेरे मार्गको अपनानमें उन्होंने संकोच नहीं किया है, इतना ही नहीं बल्कि उस मार्गको अपनानेके बाद सफलता प्राप्त करनेके लिए जिस योग्यताकी जरूरत होती है, वे उसे प्राप्त करनेका प्रयत्न कर रहे हैं और लोगोंको समझा-बुझा रहे हैं। निष्कपटभावसे वे लोगों से कहते हैं कि वर्तमान परिस्थितियोंमें गांधी द्वारा सुझाया गया मार्ग ही श्रेयस्कर है और उनकी दृढ़ताकी बदौलत ही मुसलमान सम्पूर्ण शान्ति बनाये हुए हैं।

उनका प्रभाव

मुसलमानोंपर उनका प्रभाव जोरदार है। उनके प्रति मुसलमानोंका भाव निर्मल और अलौकिक है। यदि हम कहें कि वे मुसलमानोंके प्राण हैं तो इसमें कोई अति-शयोक्ति न होगी।

सरकारका दुर्भाग्य

यह सरकारका दुर्भाग्य है कि वह ऐसे पुरुषको अपना शत्रु मानती है। उन्होंने सत्रह वर्षतक सरकारकी नौकरी की है। इस दौरान वे अनेक अंग्रेजोंके सम्पर्कमें आये हैं। जो सरकार ऐसे बहादुर व्यक्तिको अपने पक्षमें नहीं रख सकी, वह सरकार कैसी होनी चाहिए? उनके मनमें सरकारके प्रति वैरकी खातिर वैर नहीं है। यदि सरकार बालिश्त-भर झुकती है तो वे गज-भर झुकने वाले व्यक्ति हैं। मात्र अपने