पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/२५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२२८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दीन अथवा अपनी कौमका अपमान उन्हें सह्य नहीं है। पाखण्डसे वे दूर भागते हैं। ऐसा व्यक्ति हिन्दुस्तानसे बाहर होता तो किसी भी राज्यका सेनापति हो सकता था, उसे जो सरकार गिरफ्तार करनेकी बात सोच सकती है उस सरकारके साथ सहयोग करना पाप ही है।

गुजरातियोंका प्रेम-भाव

भाई शौकत अलीके अनुभवसे जिस तरह मेरे हृदयकी समस्त निराशा दूर हो जाती है उसी तरह मद्रासके गुजराती भाइयोंके प्रेमको देख मुझे हर्षकी अनुभूति होती है। देशके प्रत्येक भागमें अन्य कौमोंके समान गुजरातियोंने भी खिलाफतके कार्यमें भाग लिया है। कालीकट और मंगलौरमें तो उन्होंने कमाल ही कर दिया। इन दोनों स्थानों-पर गुजरातियोंने प्रमुख भाग लिया। वहाँ हम दोनोंको एक भाटिया सज्जनके यहाँ ठहराया गया था। यह देख मैं अत्यन्त प्रसन्न हुआ व आश्चर्यचकित रह गया। ये दोनों परिवार धर्महीन हो गये हों, सो बात नहीं; वे अपने वैष्णव-धर्मका पालन कर रहे ह तथापि मुसलमानको अपने घर ठहरानेमें उन्हें कोई दिक्कत महसूस न हुई। इसके अलावा वे उन मुसलमानोंकी, जो अपेक्षाकृत कम समझदार हैं, मदद कर रहे हैं। बहनोंने भी इस कार्यमें दिलचस्पी ली थी। मंगलौरसे गाड़ी सबेरे जल्दी रवाना होती है। हम स्टेशनपर पहुँचे तब एक गुजराती बहन प्लेटफार्मपर कुंकुम, अक्षत, श्रीफल और मिस्रीका कूजा लिये खड़ी थी। उन्होंने हमारा धर्मभाईके रूपमें स्वागत किया, हमें तिलक लगाया, दोनोंके हाथमें नारियल व मिस्रीकी डली रखी और हमारी सफलताकी कामना करते हुए आशीर्वाद दिया। इस अवसरपर भाई शौकत अलीका प्रफुल्लित चेहरा देखने योग्य था। इस तरह गुजराती लोग दूर देशमें भी विवेक, मर्यादा, प्रेम आदि गुणोंका परिचय देते रहते हैं और सार्वजनिक जीवनमें भी भाग लेते हैं——यह सब देखकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई।

स्वदेशी

गुजराती स्वदेशीको भी सुन्दर ढंगसे प्रोत्साहन दे रहे हैं। कालीकटमें छोटी-छोटी लड़कियोंने भी सूत कातना सीखा है। इन लड़कियोंने चरखा चलाते हुए हमें चरखेका एक मधुर गीत भी सुनाया। कालीकट व कोचीनमें गुजरातियोंमें जो-कुछ जागृति आई है तथा इस आन्दोलनको जो प्रोत्साहन मिला है, वह एक भाईके प्रयत्नोंके परिणामस्वरूप ही हुआ है। कुछ-एक गुजरातियोंको, जो ऐश्वर्य सम्पन्न हैं, खादी पहने देख मुझे बहुत हर्ष हुआ।

एक समझदार गुजराती

अपने प्रांतसे दूर रहते हुए भी गुजराती अत्यन्त सफलतापूर्वक स्वदेशी आन्दोलनको चला रहे हैं——यह सुनकर सब लोग भले ही गर्वका अनुभव न करें, लेकिन मैं जो घटना सुनाने जा रहा हूँ उसे सुनकर, मुझे विश्वास है, सब लोग हर्षसे पुलकित हो उठेंगे। कालीकटमें एक मलाबारी भाईने मेरे भाषणका अनुवाद किया, उससे लोगोंको