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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/२५७

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मद्रास यात्रा

पूरी तरह सन्तोष न हुआ। मेरे भाषणको समझनेवाले लोगोंने उसमें भूलोंका दर्शन करवाया; जब भाई शौकत अलीकी बारी आई तब भाई मथुरादास अनुवाद करनेके लिए तैयार हुए। उनसे सब कोई परिचित थे। श्रोताओंने तालियाँ बजाकर उनका स्वागत किया तथा प्रसन्नतापूर्वक उनके अनुवादको सुना। उन्होंने भाई शौकत अलीके अंग्रेजी भाषणका मलयालम में इतना सुन्दर अनुवाद किया कि सबके मनको मोह लिया। कहते हैं कि भाई मथुरादासने अंग्रेजी के एक-एक भावको मलयालममें उतारा। वे अंग्रेजी, मलयालम व गुजराती तीनों भाषाएँ अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने कोचीनके किसी सामान्य स्कूलमें थोड़ी-सी शिक्षा प्राप्त की थी। बाकी उन्होंने जीवनमें प्राप्त होनेवाले विभिन्न अनुभवोंसे ही सीखा है। वे स्वयं व्यापारी हैं, लेकिन राजनैतिक विषयोंका उन्हें अच्छा ज्ञान है। देशके इस भाग में रहनेवाले अधिकांश गुजराती दो तीन पीढ़ीसे कुटुम्ब सहित यहाँ आ बसे हैं। बहुतसे तो वहीं पैदा हुए हैं। वे समय-समयपर अपने वतन आते-जाते रहते हैं और इस प्रकार बराबर उससे सम्बन्ध बनाये हुए हैं। वे वहाँके लोगोंसे कटे-कटे नहीं रहते बल्कि उनसे मिल-जुलकर रहते हैं। वहाँपर मुख्य रूपसे कच्छ काठियावाड़के भाटिया तथा व्यापारी लोग व्यापार करनेके लिए जा बसे हैं।

हमारी दैनन्दिनी

हमारी यात्राकी दैनन्दिनी निम्नलिखित है:

१० अगस्त बम्बई छोड़ा
१२–१३{{{1}}} मद्रास
१४{{{1}}} अम्बुर तथा वेल्लोर
१५{{{1}}} मद्रास
१६{{{1}}} तंजौर तथा नागौर
१७{{{1}}} विचिनापल्ली
१८{{{1}}} कालीकट
१९{{{1}}} मंगलौर
२०{{{1}}} सेलम
२१{{{1}}} सेलम और बंगलौर
२२{{{1}}} मद्रास
२३{{{1}}} बेजवाड़ा
२५{{{1}}} बम्बई
२६{{{1}}} अहमदाबाद

हम लगातार २४ घंटे मद्रासके अतिरिक्त और किसी स्थानपर न रह सके और मद्रास भी इसी कारण रह पाये क्योंकि हम पहले-पहल वहीं गये थे। बाद में तो केन्द्रस्थान होने के कारण हम आते-जाते दो-चार घंटे वहाँ रुकते। सेलमसे बंगलौरकी १२५ मीलकी यात्रा हमें मोटरमें तय करनी पड़ी थी। इस रफ्तारसे यात्रा करना