सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/२५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२३१
भाषण : गुजरात राजनीतिक परिषद्में बहिष्कारपर

माशूकके सिवा किसी औरको क्यों देखेगा? अन्तमें यह तो हो सकता है कि माशूकसे उसका संयोग न हो लेकिन दूसरी ओर तो उसका ध्यान नहीं ही जाता। हसरत मोहानीने मुसलमान व्यापारियोंको समझाया और कहा कि आप लोग अंग्रेज पेढ़ियोंका माल न मँगायें। किन्तु उन व्यापारियोंने करोड़ों रुपयोंके लाभकी हानि स्वीकार नहीं की। कलकत्ता और बम्बई आदि नगरोंमें मुझे अनेक लोगोंसे मिलनेका अवसर आया है। और मैंने देखा है कि बहिष्कार हमारे लिए अशक्य है। अन्तमें अब तो हरसत मोहानी ने भी बहिष्कारका अपना आग्रह छोड़ दिया है। इस तरह मैंने इस नीतिकी निष्फलता बार-बार देखी है। तो फिर इस विषम स्थितिसे हम क्यों नाता जोड़े रहें? गुजरातकी जनताने असहयोग करनेका प्रस्ताव किया है, फिर बहिष्कारके प्रस्तावकी क्या आवश्यकता रह जाती है? यदि बहिष्कारकी नीति उचित होती तो मैंने उसे कबका स्वीकार कर लिया होता। मैं मानता हूँ कि लंकाशायर ही इंग्लैंडका [प्रधान] मन्त्री है। यदि हम उसे पोषण न दें तो वह कमजोर हो जाये——यह बात भी सही है। किन्तु इसमें वैर-भाव है, क्रोध है; इसलिए मैं उसका त्याग करता हूँ। उसमें अधर्म है केवल इसीलिए उसका त्याग करता हूँ ऐसी बात नहीं। उसके त्यागका एक और कारण यह है कि वह अव्यावहारिक है। इसके सिवाय एक दूसरी बात यह है कि आप लोगोंने स्वदेशीके सिद्धान्तको स्वधर्मके रूपमें स्वीकार किया है। तो फिर आप बहिष्कारको कैसे स्वीकार कर सकते हैं? स्वदेशीकी भावनाको समझनेवाला जापान या अमेरिका या इंग्लैंडको छोड़कर और जो दूसरे देश हैं उनके मालका भी उपयोग कैसे कर सकता है? क्या आप बहिष्कारके द्वारा इंग्लैंडको सजा देना चाहते हैं? लेकिन सजा इस तरह नहीं दी जा सकेगी। सजा तो तभी होगी जब आप इंग्लैंडका सारा माल वर्ज्य समझें। किन्तु सारे मालका बहिष्कार तो कैसे हो सकता है? अंग्रेजी उत्तम पुस्तकोंको तो मैं अवश्य ही पवित्र स्थानमें रखूँगा और उनकी पूजा करूँगा। अलबत्ता, कागज मेरे देशमें बनता हो फिर भी मैं किसी दूसरे देशमें बने कागजपर लुभाऊँ तो यह बात मेरे लिए लज्जाजनक होगी। भारतमें किसी दिन तलवार खटकनेका मौका आये और वातावरण विषाक्त हो जाये तो उस समय आप बहिष्कार करना। लेकिन विचार कीजिए——कोई सेनापति अपनी सेनाको तैयार किये बिना लड़नेके लिए नहीं जाता। बहिष्कारके लिए आपने क्या तैयारी की है? अन्धकार और प्रकाशमें जितना अन्तर है उतना ही असहयोग और बहिष्कारमें है और रहेगा। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप बहिष्कारकी बातको अस्वीकार कर दें।[]

[गुजरातीसे]
गुजराती, १२-९-१९२०
 
  1. प्रस्तावपर लोगोंकी राय ली गई और वह नामंजूर हो गया।