अनुष्ठानमें कमसे-कम खतरा उठाना और अभीष्ट लक्ष्यकी प्राप्तिके लिए जितने कम बलिदानसे काम चल सके उतना कम दलिदान करना वांछनीय है, इसलिए कांग्रेस लोगोंको आग्रहपूर्वक सलाह देती है कि:——
(क) खिताबों और अवैतनिक पदोंका त्याग किया जाये और स्थानीय परिषदोंकी नामजद सदस्यता भी छोड़ दी जाये;
(ख) सरकारी दरबारों और सरकारी अधिकारियों द्वारा या उनके सम्मानमें सरकारी या अर्धसरकारी तौरपर आयोजित समारोहोंमें भाग न लिया जाये;
(ग) सरकारके अधीन या उसके अनुदानपर अथवा उसके नियन्त्रणमें चलनेवाले स्कूलों और कालेजोंसे धीरे-धीरे लोग अपने बच्चे हटा लें और ऐसे स्कूलों और कालेजोंके बदले विभिन्न प्रान्तोंमें राष्ट्रीय स्कूलों और कालेजोंकी स्थापना करें;
(घ) वकील तथा वादी-प्रतिवादी लोग धीरे-धीरे ब्रिटिश न्यायालयोंका बहिष्कार करें और इन लोगोंकी सहायतासे निजी झगड़ोंके निपटारेके लिए पंचायती अदालतें स्थापित की जायें;
(ङ) सैनिक, क्लर्क और मजदूर-वर्गके लोग सरकारको मैसोपोटामियाके लिए अपनी सेवाएँ प्रदान न करें;
(च) नई कौंसिलोंके चुनावके उम्मीदवार अपना नाम वापस ले लें और अगर कोई कांग्रेसकी सलाहके बावजूद चुनावमें खड़ा हो तो मतदाता ऐसे उम्मीदवारको मत न दें;
(छ) विदेशी मालका बहिष्कार।
और चूँकि असहयोगकी कल्पना अनुशासन और आत्म-बलिदानकी शिक्षा देनेवाली चीजके रूपमें की गई है——ऐसी शिक्षा जिसके अभावमें कोई भी राष्ट्र वास्तविक प्रगति नहीं कर सकता——और चूँकि असहयोगके प्रथम चरणमें ही हर स्त्री-पुरुष और बच्चेको अनुशासन और आत्म-बलिदानकी शिक्षा प्राप्त करनेका अवसर देना चाहिए, इसलिए यह वस्त्रोंके मामलेमें बड़े पैमानेपर स्वदेशी अपनानेकी सलाह देती है; और चूँकि देशी पूँजीसे और देशी नियन्त्रणमें चलनेवाली भारतकी मौजूदा मिलें, राष्ट्रकी माँग पूरी करनेकी दृष्टिसे पर्याप्त सूत और पर्याप्त वस्त्र तैयार नहीं कर पातीं और न ऐसी सम्भावना है कि वे अभी बहुत समयतक ऐसा कर पायेंगी, इसलिए यह कांग्रेस सलाह देती है कि तत्काल बहुत बड़े पैमानेपर अधिक वस्त्र तैयार करनेके लिए लोगोंको उत्तेजन दिया जाये। इसके लिए यह जरूरी है कि फिरसे घर-घरमें चरखेका प्रचलन हो और इस देशके जिन लाखों बुनकरोंने उचित प्रोत्साहनके अभावमें अपना यह पुराना और सम्मानित धन्धा छोड़ दिया है वे फिरसे इसे अपनायें।
यंग इंडिया, १५-९-१९२०