२. पत्र : अखबारोंको
१ जुलाई, १९२०[१]
अभी-अभी 'इंडियन ओपिनियन' का अंक मिला और उसमें प्रकाशित दक्षिण आफ्रिकी आयोग[२](साउथ आफ्रिकन कमीशन) की अन्तरिम रिपोर्ट[३]मैंने पढ़ी। पढ़ने में तो यह विवरण निर्दोष जान पड़ता है। यहाँतक कि प्रत्यावर्तन (रिपैट्रिएशन) शब्दका भी उसमें उपयोग नहीं किया गया है। यह आलेख बड़े नपे-तुले शब्दोंमें तैयार किया गया है। चूँकि वहाँ रहनेवाले भारतीयोंने अभीतक विवरणमें सुझाई गई बातोंका विरोध नहीं किया है, इसलिए मैं भी आयोगके प्रस्तावका विरोध नहीं करना चाहता; तथापि इसका इरादा बिलकुल साफ है। आयोगने अपने इरादेको छिपानेकी कोशिश भी नहीं की है; उसने दक्षिण आफ्रिकाके गवर्नर महोदयसे एक ऐसे कर्मचारीकी नियुक्तिकी प्रार्थना की है जो भारतीयोंके मन और उनके कामकी पद्धतिसे भली-भाँति परिचित हो और जो भारतीयोंके सामने तत्काल भारत लौट जानेसे उत्पन्न लाभोंको खूबीके साथ रख सकता हो। योजनाके पक्षमें यह कहा गया है कि भारतीय लौटनके लिए उत्सुक हैं इसलिए यह योजना उन्हें सुविधा देनेकी दृष्टि से तैयार की गई है। हमें तो ऐसा लगता है कि उत्सुकता केवल आयोगको ही है और वह हमारे परेशान देशवासियोंके सामने लौटने के लाभोंको रखकर उन्हें इस दिशामें प्रेरित करना चाहता है। तथापि हम सावधान रहकर देखेंगे कि योजनापर अमल किस तरह किया जाता है। इसमें किसी भी प्रकारकी जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए और निवासके अधिकारको भी समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि इस अन्तरिम रिपोर्टमें निवासके अधिकारको छीननेकी कोई बात नहीं है। किन्तु कहा नहीं जा सकता कि निःशुल्क वापसीके लालचमें लौटनेवाले गरीब भारतीयोंसे कौन-कौनसी शर्ते मंजूर नहीं करा ली जातीं। यदि योजनाका मंशा वर्तमान परेशानीसे राहत देने-दिलानेका ही है, तो [आशा है] संघ-सरकार केवल उन्हींकी वापसीकी सुविधा करेगी जो दक्षिण आफ्रिकामें अपने पाँवपर खड़े होने में असमर्थ हैं; और इस सुविधाको देते हुए वह उनके निवासके अधिकार भी नहीं छीनेगी। यदि इस मूल्यवान अधिकारको
- ↑ यह पत्र एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया द्वारा इस तारीख़को प्रचारित किया गया था। देखिए बॉम्बे क्रॉनिकल, २-७-१९२० ।
- ↑ दक्षिण आफ्रिकी सरकारने इस आयोगकी नियुक्ति दक्षिण आफ्रिकामें एशिपाइयोंके व्यापार और जमीनसे सम्बन्धित प्रश्नकी जाँचके लिए की थी। भारत सरकारकी ओरसे सर बेंजामिन रोबट्रसनने आयोगकी कार्यवाही में हाथ बँटाया था।
- ↑ रिपोर्ट में दक्षिण आफ्रिकासे भारतीयोंके स्वयंस्फूर्त प्रत्यावर्तनकी योजना प्रस्तुत की गई थी और उसपर भारतीय राहत विधेयक, १९१४ की धारा ६ के अन्तर्गत अमल किया जाना था। देखिए "रहस्थपूर्ण", १४-७-१९२० ।