पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/३१९

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१५३. तार : शौकत अलीको[१]

[२१ सितम्बर, १९२० या उसके बाद]

जफर अली खाँ वकील द्वारा कतई बचाव न करें। वे केवल वक्तव्य दे सकते हैं। मेरा दृढ़ मत है कि वकील द्वारा बचाव की कोई गुंजाइश नहीं।

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७२६२) की फोटो-नकलसे।

 

१५४. तार : आगा सफदरको

[२१ सितम्बर, १९२० या उसके बाद][२]

आगा सफदर
मार्फत—'जमींदार'
लाहौर

वहाँ मैं तुरन्त आना अनावश्यक मानता हूँ। मेरा दृढ़ मत है कि जफर अली खाँ जो आरोप सच्चे हैं उन्हें स्वीकार करते हुए एक स्पष्ट वक्तव्य दें और खुशी-खुशी सजा भोग लें। किसी भी वकीलकी उपस्थिति आवश्यक नहीं।[३]

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७२६३) की फोटो-नकलसे।

 

१५५. एक सालमें स्वराज्य

मैंने कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशनमें कहा था कि यदि मेरे असहयोग कार्यक्रमके प्रति लोगोंने अच्छा उत्साह दिखाया तो एक सालमें स्वराज्य प्राप्त हो जायेगा। इस बातके लिए मेरा बड़ा मजाक उड़ाया गया है। कुछ लोगोंने इस कारणसे मेरी शर्तकी उपेक्षा कर दी है और मुझपर हँसे हैं कि एक सालके अन्दर किसी भी तरहसे स्वराज्य असम्भव है। कुछ दूसरे लोगोंने "यदि" पर बहुत ज्यादा जोर दिया है और कहा है कि अगर दलीलमें इस तरहसे "यदि" को शामिल किया जाये तब तो किसी भी

  1. शौकत अलीने एक तार भेजा था जिसमें बताया था कि जमींदारके सम्पादक जफर अली खाँके मुकदमेकी सुनवाई २७ तारीखको होगी। उन्होंने गांधीजीसे बचावके सम्बन्धमें भी सलाह माँगी थी। यह तार उसीके उत्तरमें भेजा गया था।
  2. देखिए पिछला शीर्षक।
  3. मसविदा गांधीजीके स्वाक्षरोंमें है।