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१५८. पुरीमें संकट

मैं पाठकोंका ध्यान पुरीके संकटकी सबसे ताजा रिपोर्टकी ओर दिलाता हूँ।

अबतक लोगोंने इसके प्रति जो उत्साह दिखाया है, वह काफी अच्छा रहा है, फिर भी इतना अच्छा नहीं कि संकटका पूरा-पूरा मुकाबला किया जा सके। संकटके लम्बे खिंचते जानेके कारण स्वयंसेवकोंकी कमी होती जा रही है। उनके स्थानपर अब वेतनभोगी कार्यकर्ताओंकी नियुक्ति करनी है। कोषके अभावमें समितिको[१]राहत पानेवालोंकी संख्या कम करनेको मजबूर हो जाना पड़ा, और बिहार तथा उड़ीसा- की सरकार आर्थिक संकट दूर करनेको तैयार नहीं है। समितिको कमसे-कम ५०,००० रुपयेकी जरूरत है। मुझे विश्वास है कि जो उदार पाठकगण इस अपीलको पढ़ेंग, वे मदद देनेमें देर नहीं करेंगे। एक आदमीने, जो इत्तफाकसे कलकत्तासे पुरी गया हुआ था, मुझे बताया कि उसने अपनी आँखोंके सामने एक आदमीको भूखसे तड़प-तड़पकर मरते देखा। जहाँ इन अकाल-पीड़ितोंको भोजन देनेकी व्यवस्था की गई थी, वहाँतक वह पैदल चलकर गया था। वह इतना पस्त हो चुका था कि राहतकी इस व्यवस्थाका लाभ उठानेको भी जीवित नहीं रह सका। अभी पिछले ही दिन एक उड़ियाको इस कारण आत्महत्याकी कोशिश करते देखा गया कि वह भूखकी व्यथा नहीं सह सका। उसपर आत्महत्याके प्रयत्नका अभियोग लगाया गया। उस अदालतकी अध्यक्षता करनेवाले मजिस्ट्रेटने उसे लगभग रिहा कर दिया और निर्धन कोषसे २० रुपये दिये।

ये घटनाएँ हमें क्या शिक्षा देती हैं? यह संकट देशमें बहुत समयसे चला आ रहा है। पुरीके इस संकटके बारेमें जो-कुछ खबरें सुनते हैं वह इसलिए कि वहाँ इसने बहुत उग्र रूप धारण कर लिया है। परन्तु भारतमें भोज-समारोहों और शादी की दावतोंपर, तमाशों और अन्य एशो-आरामपर पैसे खर्च करना तबतक अपराध माना जाना चाहिए जबतक कि लाखों लोग भूखे मर रहे हैं। यदि किसी परिवारका एक सदस्य भूखसे मरनेकी स्थितिमें हो तो उस परिवारके लोग दावत तो नहीं करेंगे। यदि भारत भी एक परिवार है तो उसके प्रति भी हममें वही भावना होनी चाहिए जो निजी परिवारके प्रति होती है। परन्तु हम प्रत्येक भारतीयके साथ आमतौर पर अपने परिवारके सदस्य-जैसा नाता रखें या न रखें, मैं यह आशा जरूर करूँगा कि प्रत्येक व्यक्ति पुरीमें जो गंम्भीर संकट विद्यमान है, उसे दूर करनेमें सहायता देगा।

मैं यह भी आशा करता हूँ कि श्री कृष्णचन्द्र नायककी सर्प-दंशसे मृत्यु-जैसी घटनाओंसे स्वयंसेवकोंका इस काममें मदद देनेका उत्साह कम नहीं होगा। नायकने कर्त्तव्यपालन करते हुए श्रेयस्कर मृत्यु पाई है। ऐसी मृत्यु रुग्ण होकर मरनेसे तो

  1. लोक अकाल पीड़ित सहायता समिति, पुरी।