गये हैं कि ये लोग फीजीमें बन्द करके रखे गये हैं। उन्हें भारत वापस आनेकी कोई सुविधा नहीं है। मैं यह स्मरण दिला दूँ कि दक्षिण आफ्रिका या पूर्व आफ्रिकाकी तरह गोरे लोग भारतीयोंको फीजीसे निकाल बाहर नहीं करना चाहते। फीजीके गोरे, अभी वहाँ जो भारतीय हैं, उन्हें वहीं रखना चाहते हैं तथा और भी भारतीयोंको वहाँ बुलाना चाहते हैं। इसलिए स्पष्ट ही हमारा पहला कर्त्तव्य यह है कि इन थके- हारे और भारसे दब लोगोंको बता दें कि वे अपने खर्चसे भारत लौट आनेको स्वतन्त्र हैं, क्योंकि स्वयं मणिलाल डाक्टरने भी यही निराकरण सुझाया है। फीजीसे मुझे जो तार मिले हैं, उनमें भी यही कहा गया है। हम जो कमसे-कम कर सकते हैं वह यह कि उनके लिए भारत लौटनेकी सुविधाओंका प्रबन्ध करें।
यंग इंडिया, २२-९-१९२०
१६०. कांग्रेस-संगठनोंके लिए हिदायतोंके मसविदेपर रिपोर्ट[१]
२२ सितम्बर, १९२०
कांग्रेस संगठनोंके लिए तथा जिन्हें विशेष कांग्रेसके असहयोग सम्बन्धी प्रस्ताव स्वीकार हों उनके लिए दी गई हिदायतोंके मसविदेपर अखिल भारतीय कांग्रेस द्वारा नियुक्त उप-समितिकी रिपोर्ट।
कांग्रेसने सलाह दी है :
(क) खिताबों और अवैतनिक पदोंका बहिष्कार किया जाये,
(ख) दावत, राजकीय समारोहों, दरबार आदि सरकारी जलसोंका बहिष्कार किया जाये,
(ग) सरकारी या सरकार-नियन्त्रित स्कूलों और कालेजोंका धीरे-धीरे बहिष्कार और राष्ट्रीय स्कूलों और कालेजोंकी स्थापना की जाये,
(घ) वकील और मुकदमा लड़नेवाले लोग धीरे-धीरे अदालतोंका बहिष्कार करें, और ऐसे वकीलोंकी सहायतासे पंचायती अदालतें स्थापित की जायें,
(ङ) उम्मीदवार और मतदाता नई कौंसिलोंका बहिष्कार करें,
(च) युद्ध-पूर्वके मैसोपोटामिया (अर्थात् टर्की साम्राज्यके प्रदेशों) में काम करनेके लिए सिपाहियों, क्लकों और मजदूरोंके रूपमें की जानेवाली भारतीका बहिष्कार किया जाये,
(छ) विदेशी वस्तुओंका बहिष्कार किया जाये,
(ज) हाथके कते सुत और उस सूतसे हाथके बुने कपड़ेके उत्पादन और वितरणको बढ़ावा देकर स्वदेशीको आगे बढ़ाया जाये।
- ↑ टाइप किये हुए मूल मसविदेमें गांधीजीने अपने हाथसे संशोधन किये हैं।