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१७१. भाषण : विद्यार्थियोंकी सभा, अहमदाबादमें[१]

२८ सितम्बर, १९२०

पंजाबमें विद्यार्थियोंको १६–१७ मील पैदल ले जाया गया, कुछ-एक बालकोंको कोड़े लगाये गये। सिर्फ इतना ही अपमान किया हो सो बात नहीं, विद्यार्थियोंसे यूनियन जैकका अभिवादन करनेके लिए भी कहा गया। यदि लोगोंसे इस तरह जोरजबरदस्ती यूनियन जैक अथवा खुद परमेश्वरका ही अभिवादन करवाया जाये तो लोगों तथा खुद परमेश्वरपर इसका क्या असर होगा। मैं चाहता हूँ कि स्वयं विद्यार्थी इस बातपर विचार करें। इसके अतिरिक्त कितने ही विद्यार्थियोंको कालेजोंसे निकाल दिया गया था और उनमें से अनेकोंने मुझे पत्र भी लिखे थे। उन्हें स्वयं तो ऐसा ही प्रतीत होता था कि वे असहाय हो गये हैं और अपना सर्वस्व खो बैठे हैं।

विद्यार्थियोंको पंजाबके उपद्रवोंसे अगर कुछ सीखना हो तो वह यह कि उन्हें कालेजके प्रति अपने मोहका त्याग कर देना चाहिए और अपनी इस मान्यता से छुटकारा पा लेना चाहिए कि वहाँ न जानेपर उन्हें भूखे पेट रहना पड़ेगा।

जब मैं लाहौर गया तब मैंने विद्यार्थियोंके चेहरोंपर उल्लासके दर्शन किये और मैंने महसूस किया कि कालेजोंके प्रति उनका मोह कुछ कम हो गया है। अगर मैं भी विद्यार्थियोंके समान ही घबरा जाता और झूठी आशंका अभिव्यक्त करता; अगर मैं भी कहता कि यदि वे लोग कालेजोंमें नहीं जायेंगे तो वे मनुष्य नहीं बन सकेंगे तो इससे उनका मोह और बढ़ जाता। यदि ये विद्यार्थी सरकारी कालेजोंमें न होते तो सरकार उनका क्या कर सकती थी? उस हालतमें सरकार उनका कुछ भी न बिगाड़ पाती। उस हालतमें वह उन्हें यूनियन जैकका अभिवादन करनेके लिए विवश नहीं कर सकती थी। विद्यार्थियोंको सबसे बड़ा भय यह था कि अगर वे यूनियन जैकका अभिवादन करनेके लिए नहीं जायेंगे तो उन्हें मौतके घाट उतार दिया जायेगा। यदि ये विद्यार्थी ऐसे स्वतन्त्र स्कूलोंमें पढ़ते होते, जिनका सरकारके साथ कोई भी सम्बन्ध न होता तो उन्हें इस प्रकारका कोई भय न होता। लेकिन सरकारी स्कूलोंमें होनेके कारण सरकार उनपर विशेष अंकुश रख सकी और इस प्रकार उसने जनताकी नाक काट ली। विद्यार्थियोंके बलपर ही हम स्वतन्त्रता प्राप्त कर सकते हैं और उन्हींकी कमजोरीके कारण हम गुलामीके बन्धनमें बँधे रह सकते हैं। यह बात सच है कि मैंने विधान परिषदों के बहिष्कारकी बातपर बहुत जोर दिया है। मानव-मात्र मूर्ति-पूजक है; इसलिए जो प्रतिनिधि बननेके सर्वथा योग्य हैं ऐसे लोग जब विधान परिषदोंका त्याग कर देंगे तब, मैं जानता हूँ, इस बातका तात्कालिक प्रभाव बहुत जबरदस्त होगा। यह काम ऐसा है जो अभी और इसी समय किया जा सकता है, इसलिए तुरन्त किया जाना चाहिए। इसका प्रभाव भी जबरदस्त होगा। तथापि मैं

  1. गुजरात कालेजके विद्यार्थियोंकी समामें, जिसकी अध्यक्षता वी॰ जे॰ पटेलने की थी।