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स्कूलों और कालेजोंका व्यामोह
शवको बगदाद ले गया। रास्तेमें उसने देखा कि उसके पुत्रका चेहरा सुअरकी शक्लमें बदल गया है।

बताया जाता है कि ये वाक्य श्री खाँ ने कहे हैं। यह तो लोगोंके अन्धविश्वासका नाजायज फायदा उठाना है। मुझे आशा है कि श्री जफर अली खाँने अपने श्रोताओंके अन्ध-विश्वासका लाभ उठानेका प्रयत्न नहीं किया है। खिलाफत आन्दोलन एक धार्मिक आन्दोलन है। इसे असत्य, अतिरंजना, वाचा अथवा कर्मणा हिंसा तथा अन्धविश्वास या पूर्वग्रहोंसे मुक्त रहना चाहिए। जब उद्देश्य अपने-आपमें यथार्थ और सत्य है और जब इसके प्रतिपादनमें आत्मत्याग और साहससे काम लिया जाये तब फल प्राप्तिमें कोई देर नहीं लगती।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २९-९-१९२०

 

१७४. स्कूलों और कालेजोंका व्यामोह

सरकारी नियन्त्रणमें चलनेवाले स्कूलों और कालेजोंके प्रस्तावित बहिष्कारके विरुद्ध बहुत-कुछ कहा और लिखा जा रहा है। इस प्रस्तावको "शरारतभरा", "हानिकर", "देशके उच्चतम हितोंके विरुद्ध" आदि कहा गया है। पंडित मदन-मोहन मालवीय इसके कट्टर विरोधियोंमें से हैं।

मैंने अपने तई यह पता चलानेकी पूरी कोशिश की है कि मैंने कहाँ गलती की है। लेकिन इस कोशिशका परिणाम यही हुआ है कि मेरा यह विश्वास और भी दृढ़ हो गया है कि वर्तमान सरकारके नियन्त्रणमें किसी तरहकी शिक्षा प्राप्त करना——चाहे उस शिक्षामें कितनी ही अच्छाई हो——उसी तरह घातक है जिस तरह अधिकसे-अधिक पौष्टिक तत्त्वोंसे युक्त होनेपर भी विष-मिला दूध पीना।

मैं अपने-आपसे पूछता हूँ, ऐसा क्यों है कि कुछ लोग तो इस बातमें निहित सचाईको साफ देख रहे हैं, जब कि कुछ दूसरे लोग——हमारे मान्य नतागण——इसे एक गलत चीज मानकर इसकी भर्त्सना करते हैं। मैं इसका जो उत्तर ढूँढ़ पाया हूँ वह यह है कि जहाँ पहले वर्गके लोग वर्तमान शासन-पद्धतिको एक खालिस बुराई मानते हैं वहाँ दूसरे वर्ग के लोग ऐसा नहीं मानते। दूसरे शब्दोंमें, मेरे सुझावके विरोधी लोग पंजाब और खिलाफत-सम्बन्धी अन्यायोंकी गम्भीरताका पर्याप्त अनुभव नहीं करते। अन्य लोगोंकी भाँति वे ऐसा नहीं मानते कि ये अन्याय अन्तिम रूपसे सिद्ध कर देते हैं कि मौजूदा सरकारकी गति-विधियाँ कुल मिलाकर राष्ट्रीय विकासके लिए घातक हैं। मैं जानता हूँ कि मैं जो- कुछ कह रहा हूँ, वह एक बहुत ही गम्भीर बात है। यह सोचा भी नहीं जा सकता कि मालवीयजी और शास्त्रियर इन अन्यायोंको मेरी तरह महसूस नहीं कर सकते। लेकिन मेरे कहने का तात्पर्य बिलकुल यही है। मेरा यह निश्चित विश्वास है कि वे अपने बच्चोंको किसी ऐसे स्कूलमें नहीं पढ़ायेंगे जहाँ उनके