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वाइसराय अपने दायित्वका निर्वाह कैसे कर रहे हैं

ही जानलेवा फीस लेनी चाहिए। वह दिन भारतके लिए बहुत बुरा होगा जब उसे अपने मानदण्ड और रुचियोंके लिए अंग्रेजोंके मानदण्ड और रुचियोंका अनुकरण करना पड़ेगा, क्योंकि उनका मानदण्ड और उनकी रुचियाँ भारतीय मिट्टीके लिए सर्वथा अनुपयुक्त हैं। यदि कोई वकील न्यायालयों और अपने धन्धेको उस दृष्टिकोण से देखे जो दृष्टिकोण मैंने प्रस्तुत किया है और यदि वह सचमुच अपनी योग्यता-भर राष्ट्रकी सेवा करना चाहता हो तो उसका निष्कर्ष यही होगा कि उसे सबसे पहले अपनी वकालत बन्द कर देनी चाहिये। उसका निष्कर्ष इससे भिन्न तभी हो सकता है जब वह, मैंने जो तथ्य प्रस्तुत किये हैं, उन्हें गलत सिद्ध कर दें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ६-१०-१९२०

 

१८२. वाइसराय अपने दायित्वका निर्वाह कैसे कर रहे हैं

हम अन्यत्र श्री मॉण्टेग्युके नाम भेजा गया वाइसराय महोदयका तार प्रकाशित कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने सैनिक शासन के दौरान पंजाबकी स्त्रियोंके साथ किये गये दुर्व्यबहारसे सम्बन्धित श्रीमती सरोजिनी नायडूके[१]आरोपोंका खण्डन किया है। श्रीमती नायडूने उसका जो जोरदार उत्तर दिया है, वह भी प्रकाशित किया जा रहा है। परमश्रेष्ठ द्वारा कही गई हर बातसे सिर्फ जनताकी इसी धारणाको बल मिलता जान पड़ता है कि उन्हें [वाइसराय महोदयको] जो भारी जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे उसके सर्वथा अनुपयुक्त हैं। श्रीमती नायडूने वाइसराय महोदयके रवैयेकी भर्त्सना करते हुए जो-कुछ कहा है उससे अधिक मैं और कुछ नहीं कहना चाहता; लेकिन मैं पाठकोंका ध्यान इस बातको ओर आकृष्ट करना चाहूँगा कि श्रीमती नायडू द्वारा लगाये गये कुछ बहुत ही महत्त्वपूर्ण आरोपोंकी वाइसरायने किस तरह उपेक्षा कर दी है। उन्होंने वेश्याओंके बयानको अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि दुर्भाग्यसे वे एक खोटे पेशेमें लगी हुई हैं। अगर हम इसे उचित भी मान लें तो परमश्रेष्ठ मनियाँवालाकी उन स्त्रियोंके बयानके बारेमें क्या कहेंगे जिनके चरित्रपर, जहाँतक मैं जानता हूँ, किसीने अँगुली नहीं उठाई है। मैं यहाँ मंगल जाटकी विधवा, गुरदेवीका बयान ज्योंका-त्यों दे रहा हूँ। इस कथन की पुष्टि अन्य बहुत-सी स्त्रियोंने भी की है। यह है वह बयान:

मार्शल लॉके दौरान एक दिन श्री बॉसवर्थ स्मिथने हमारे गाँवके आठ सालसे ऊपरकी अवस्थाके सभी आदमियोंको, जो जाँच चल रही थी उसके सिलसिलेमें, बेंगलेपर इकट्ठा किया। लोग जिस वक्त बँगलेपर इकट्ठे थे, श्री बॉसवर्थ उसी बीच हमारे गाँव आये और अपने मर्दोंके लिए खाना लेकर बँगलेकी ओर जाती हुई औरतोंको रास्तेसे लौटा लाये। गाँव पहुँचकर वे गली-गलीमें जाकर सभी औरतोंको घरसे बाहर निकल आनेका आदेश देते हुए
  1. १८७९–१९४९; कवयित्री, देशभक्त, कांग्रेसकी नेता और गांधीजीको निकट-सहयोगिनी।